संवाद में सफलता | डेल कार्नेगी | SUCCESS IN COMMUNICATION | DALE CARNEGIE | HINDI BOOK

SUCCESS IN COMMUNICATION | DALE CARNEGIE | HINDI  BOOK 

संवाद में सफलता by डेल कार्नेगी हिन्दी pdf बुक

संवाद में सफलता (Samvad Mein Safalta) by डेल कार्नेगी हिन्दी pdf बुक - संवाद का मार्ग चार तरीक़े हैं और सिर्फ चार तरीके हैं , जिनसे हमारा संसार से संपर्क होता है । इन चार संपर्कों से ही हमारा मूल्यांकन और वर्गीकरण होता है : हम क्या करते हैं , हम कैसे दिखते हैं , हम क्या कहते हैं और हम इसे कैसे कहते हैं । - डेल कारनेगी 

हम  क्या कहते हैं और हम इसे कैसे कहते हैं - आजकल संवाद यह तय करने में अहम ह है कि , के सभी महान दिग्गज अन्य लोगों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने की कला में कुशल होते हैं । 

ज़रूरी नहीं है कि यह योग्यता पैदाइशी हो । जो भी इसे हासिल करना चाहता है , वह ऐसा कर सकता है । सिर्फ़ इच्छाशक्ति और संकल्प की ज़रूरत है । जब हम अपनी संवाद योग्यता को बेहतर बना लेते हैं , तो हम अपने बॉस , अपने साथियों , अपने ग्राहकों , अपने मित्रों व परिवार वालों के सामने अपने विचारों को ज़्यादा प्रभावी तरीके से पेश कर सकते हैं ।

ज़्यादा शक्ति और जोश के साथ संवाद करने की योग्यता की कल्पना करें । हम किसी नीरस मीटिंग को रोचक और लाभकारी बना सकते हैं । हम अपने साथियों को डेडलाइन पूरी करने तथा अपने तय लक्ष्यों से आगे निकलने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित कर सकते हैं। 

रोज़मर्रा के ज़्यादातर संवाद में ग़लत संप्रेषण और ग़लतफ़हमी की काफ़ी गुंजाइश रहती है । हमारी कंपनी में जिस भाषा का इस्तेमाल होता है , उसे कंपनी के अंदर समझने में कोई दिक्कत नहीं आती है , लेकिन वह शब्दावली हमारी कंपनी या उद्योग के बाहर वालों की समझ से अक्सर परे होती है , इसलिए उसका ग़लत मतलब निकाला जा सकता है । 

जब हम अपने विचारों को व्यवस्थित करते हैं और पूरे विषय को समेटने के बजाय मुद्दे की बात पर केंद्रित रहते हैं , तो हम अपनी बात सुनने वाले लोगों को समान स्तर पर रखते हैं , क्योंकि लोग व्यवस्था और स्पष्टता को पसंद करते हैं । सभी पेशेवर लोगों में अपनी राय स्पष्टता से , सारगर्भित और विश्वसनीय अंदाज़ में व्यक्त करने की योग्यता होनी चाहिए , ख़ास तौर से बिना तैयारी के तात्कालिक या अनपेक्षित स्थितियों में ।

इन स्थितियों में साहस , आत्मविश्वास , विचारों को फटाफट व्यवस्थित करने की क़ाबिलियत और उन्हें क्रमबद्ध व विश्वसनीय तरीके से व्यक्त करने की योग्यता की ज़रूरत होती है । संवाद एकांगी मार्ग नहीं है । सिर्फ संवाद करने वाला दूसरे पक्ष को संदेश नहीं भेजता है । 

प्रभावी संवाद दोतरफ़ा मार्ग होना चाहिए , जिसमें फ़ीडबैक एक पक्ष से दूसरे पक्ष तक लगातार प्रवाहित हो । संदेश भेजने वाले को सामने वाले से फ़ीडबैक लेना चाहिए । संवाद करने वाले को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामने वाले ने उसकी कही बात समझ ली है और स्वीकार कर ली है ।

इसके लिए उसे प्रश्न पूछने चाहिए , अवलोकन करना चाहिए और ग़लतफ़हमियाँ नज़र आने पर उन्हें दुरुस्त करना चाहिए तथा यह पक्का कर लेना चाहिए कि सामने वाला पूरी बात सही तरीके से समझ गया है । यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि सामने वाले ने संदेश को स्वीकार कर लिया हो , ताकि उस काम को पूरा करने में उसकी सच्ची इच्छा रहे । 

अच्छे संवाद की इन बुनियादी बातों पर अमल करने से न सिर्फ हमारे संदेश ज़्यादा लोगों तक तेज़ी से पहुँचेंगे , बल्कि कामकाज में ग़लतियाँ भी कम होंगी और काम भी समय पर पूरा होगा । इससे हमारे कर्मचारी ज़्यादा कार्यकुशल व ज़्यादा खुश रहेंगे और हम कम समस्याओं तथा ज़्यादा संतुष्टि के साथ मैनेजर के रूप में अपना काम कर पाएंगे । 

इस पुस्तक में आप अपने मौखिक व लिखित संवाद को बेहतर बनाने की कुछ रणनीतियाँ सीखेंगे - इनसे आप अपने कामकाज और जीवन के हर पहलू में ज़्यादा सफल बनने की दिशा में बड़े क़दम उठा सकते हैं । आप सामने वाले के साथ रोज़मर्रा की सीधी चर्चा में अपनी मौखिक संवाद योग्यताओं को आदर्श बनाना सीखेंगे - बातचीत की कला । 

साथ ही , आप श्रोता समूहों के सामने सार्वजनिक भाषण देने या किसी समूह या समिति के सदस्यों के सामने रिपोर्ट पेश करने में भी बेहतर बनेंगे । आप सामने वाले की बात को सचमुच सुनने के तरीके सीखेंगे , ताकि आप संदेश को पूरी तरह समझ लें । 

आप सीखेंगे कि आपकी बॉडी लैंग्वेज आपके संदेश को किस तरह बढ़ाती या घटाती है और अपने श्रोताओं की बॉडी लैंग्वेज की व्याख्या कैसे की जाए । आप यह भी सीखेंगे कि अपने लिखित संवाद - चाहे यह पत्र , मेमो , ईमेल या टेक्स्ट मैसेज हो - को स्पष्ट , सारगर्भित , पूर्ण और पाठक के लिए ज़्यादा आकर्षक कैसे बनाया जाए । 

इस पुस्तक से अधिकतम लाभ पाने के लिए पहले तो इसे पूरा पढ़ जाएँ , ताकि आप विचार और जानकारी देने व पाने की पूरी अवधारणा समझ लें । फिर हर अध्याय को दोबारा पढ़ें और दिशानिर्देशों पर अमल शुरू करें । इससे आप बेहतर संवाद की राह पर चलने लगेंगे जो सफलता की राह है । -आर्थर आर . पेल , पीएच.डी. संपादक


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