जीने की राह | रामपाल दास | WAY TO LIVE | HINDI BOOK

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जीने की राह by रामपाल दास हिन्दी pdf book

जीने की राह by रामपाल दास हिन्दी pdf book जीने की राह - पुस्तक घर - घर में रखने योग्य है । इसके पढ़ने तथा अमल करने से लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहोगे । पापों से बचोगे , घर की कलह समाप्त हो जाएगी । 

बहू - बेटे अपने माता - पिता की विशेष सेवा किया करेंगे । घर में परमात्मा का निवास होगा । भूत - प्रेत , पित्तर - भैरव - बेताल जैसी आत्माएँ उस परिवार के आसपास नहीं आएंगी । देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं । 

अकाल मृत्यु उस भक्त की नहीं होगी जो इस पुस्तक को पढ़कर दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर साधना करेगा । इस पुस्तक को पढ़ने से उजड़े परिवार बस जाएंगे । जिस परिवार में यह पुस्तक रहेगी , इसको पढ़ेंगे । जिस कारण से नशा अपने आप छूट जाएगा क्योंकि इसमें ऐसे प्रमाण हैं जो आत्मा को छू जाते हैं । 

शराब , तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति ऐसी घृणा हो जाएगी कि इनका नाम लेने से रूह काँप जाया करेगी । पूरा परिवार सुख का जीवन जीएगा । जीवन का सफर आसानी से तय होगा क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है । इस पुस्तक में , पूर्ण परमात्मा कौन है ? उसका नाम क्या है ? उसकी भक्ति कैसी है ? सब जानकारी मिलेगी । 

मानव जीवन सफल हो जाएगा । परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहेगी । परमात्मा की कृपा सदा बनी रहेगी । जीने की राह उत्तम मिलने से यात्रा आसान हो जाएगी । जो इस पुस्तक को घर नहीं रखेगा , वह जीवन की राह उत्तम न मिलने से संसार रूपी वन में भटककर अनमोल जीवन नष्ट करेगा । 

परमात्मा के घर में जाकर पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगेगा । उस समय आपको पता चलेगा कि जीने की राह उत्तम न मिलने से जिंदगी बर्बाद हो गई । फिर आप परमात्मा से विनय करेंगे कि हे प्रभु ! एक मानव जीवन और बख्श दो । मैं सच्चे मन से सत्य भक्ति करूंगा । जीवन की सच्ची राह की खोज करने सत्संग में जाया करूंगा । 

आजीवन भक्ति करूंगा । अपना कल्याण करवाऊँगा । उस परमात्मा के दरबार ( कार्यालय ) में आपके पूर्व के जन्मों की फिल्म चलाई जाएगी जिनमें आप प्रत्येक बार जब - जब मानव जीवन प्राप्त हुआ था , आपने यही कहा था कि एक मानव जीवन और दे दो , कभी बुराई नहीं करूंगा । आजीवन भक्ति भी करूंगा । 

घर का कार्य निर्वाह के लिए भी करूंगा । पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर कल्याण करवाऊँगा । जो गलती अबके मानव जीवन में हुई है , कभी नहीं दोहराऊँगा / दोहराऊँगी । फिर परमात्मा जी कहते हैं कि अपने आपको तो मूर्ख बनाकर जीवन नष्ट करके आ खड़ा हुआ पापों की गाड़ी भरकर , मुझे भी मूर्ख बनाना चाहता है । चल नरक में । फिर चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में चक्र लगा । जब कभी

मानव ( स्त्री - पुरूष ) शरीर मिले , सावधान होकर संतों का सत्संग सुनना और अपना कल्याण कराना । पाठकजनों से निवेदन है कि इस पवित्र पुस्तक के पढ़ने से आपकी एक सौ एक ( 101 ) पीढ़ी लोक तथा परलोक में सुखी रहेगी । इसको परमात्मा का आदेश मानकर पूरा परिवार पढ़ें । 

एक पढ़े , अन्य सुनें या एक से अधिक पुस्तक लेकर भिन्न - भिन्न प्रतिदिन पढ़ें । इसमें लिखे प्रत्येक प्रकरण को सत्य मानें । मजाक में न लें । यह किसी सांगी की बनाई नहीं है , यह परमेश्वर के गुलाम रामपाल दास द्वारा हृदय से मानव कल्याण के उद्देश्य से लिखी गई है । लाभ उठायें । लेखक





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