पर्सनैलिटी डेवलपमेंट गाइड | PERSONALITY DEVELOPMENT GUIDE
पर्सनैलिटी डेवलपमेंट गाइड ( PERSONALITY DEVELOPMENT GUIDE ) - कहते हैं कि आपकी सफलता की पहली सीढ़ी आपके व्यक्तित्व या पर्सनैलिटी से होकर गुजरती है । किसी से भेंट - मुलाकात के समय सबसे पहले जो चीज दिखाई देती है , वह आपका व्यक्तित्व ही होता है ।
व्यक्तित्व वह दर्पण है जो हमारे अंतर्मन की तसवीर होता है । कई बार व्यक्तित्व से ही हम किसी के बारे में अच्छी या बुरी धारणाएँ बना लेते हैं । दरअसल , हमारा व्यक्तित्व एक चुंबक के समान होता है , जो आस - पास के लोगों पर प्रभाव डालता है । जितने हम सकारात्मक अथवा पॉजिटिव एनर्जी से भरे होंगे , उतना ही हमारा व्यक्तित्व प्रभावशाली होगा ।
हम अनेक सकारात्मक विचारों की उपयोगी ऊर्जा को ग्रहण करके अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना सकते हैं । इसके लिए सबसे पहले हमें आशावादी बनना होगा और अपने सारे नकारात्मक या नैगेटिव विचारों को त्यागना होगा । साथ ही जीवन में केवल सकारात्मक विचारों को जगह देनी होगी ।
यदि किसी स्थान पर दुःख और सुख दोनों चीजें हों तो ' दु : ख ' शब्द का हमें उच्चारण भी करने से बचना होगा । हमें केवल सुख को देखना होगा । केवल उजले पक्ष को साथ लेकर चलना होगा ।
यह स्मरण रखें कि उजाले की एक महीन किरण भी अँधेरे को चीरकर रख देती है । क्रोध , हीन , भावना , अविश्वास , नकारात्मक प्रवृत्ति , ईर्ष्या , द्वेष , अस्थिरता , अधीरता , आलस्य , असमर्पण इत्यादि दोष व्यक्तित्व विकास के मार्ग के अवरोधक हैं ।
इन्हें कुचलकर रख दें और केवल अपने लक्ष्य पर निगाह रखें । आपका लक्ष्य होना चाहिए - सकारात्मक व्यक्तित्व विकास । जब आप अपने उपर्युक्त विकारों को शांत कर देंगे तो आपका व्यक्तित्व स्वत : ही सफलता की चाबी बन जाएगा ।
अपने विकारों से मुक्त होना जरा भी कठिन नहीं है । बस , आपको अपने मन को यह समझाना है कि अब से आप क्रोध नहीं करेंगे , ईर्ष्या नहीं करेंगे , हीन भावना को मन में नहीं पालेंगे आदि - आदि ।
फिर जब भी आप इन विकारों के आवेग में बहने लगें तो अपने संकल्प को याद करें , आपका मन स्वत : शांत हो जाएगा । स्मरण रखें , हमें मन को अपना गुलाम बनाना है , खुद मन का गुलाम नहीं बनना है । कहा गया है - ' मन के हारे हार है , मन के जीते जीत । ' इसलिए इस मन को पालना सीखें , फिर जीत आपकी होगी । ' पर्सनैलिटी डेवलपमेंट ' आपका होगा ।
संत - महापुरुषों का इतिहास बताता है कि उन्होंने अपनी नकारात्मक ऊर्जाओं पर नियंत्रण कर इतिहास में स्थान बनाया । महात्मा गांधी को अंग्रेजों ने रेल के डिब्बे से बाहर फिंकवाया तो गांधीजी भड़के नहीं , उन्होंने उसे नकारात्मक ऊर्जा में बदल दिया और वे मानव से महात्मा बन गए ।
क्या होता यदि वे आग - बबूला हो उठते ? प्रस्तुत पुस्तक में ' पर्सनैलिटी डेवलपमेंट ' के उन तमाम उपकरणों की चर्चा है , जिनके द्वारा आप सहजता से स्वयं को ' साधारण ' से ' खास ' , ' नैगेटिव ' से ' पॉजिटिव ' और ' अप्रभावी ' से ' प्रभावी ' शख्सियत में ढाल सकते हैं । बिलकुल आसान है ऐसा करना - आरंभ तो कीजिए । - priyanshu shekhar
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