रिच डैड एंड पुअर डैड | रॉबर्ट टी. कियोसाकि | Rich Dad And Poor Dad | Robert T kiyosaki |

    

Rich Dad And Poor Dad By Robert T kiyosaki free hindi pdf book downloads

परिचय - Rich Dad And Poor Dad By Robert T kiyosaki free hindi pdf - क्या स्कूल बच्चों को असली जिंदगी के लिए तैयार करता है ? मेरे मम्मी - डैडी कहते थे , " मेहनत से पढ़ो और अच्छे नंबर लाओ क्योंकि ऐसा करोगे तो एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल जाएगी । " उनके जीवन का लक्ष्य यही था कि मेरी बड़ी बहन और मेरी कॉलेज की शिक्षा पूरी हो जाए । 

उनका मानना था कि अगर कॉलेज की शिक्षा पूरी हो गई तो हम जिंदगी में ज़्यादा कामयाब हो सकेंगे । जब मैंने 1976 में अपना डिप्लोमा हासिल किया - मैं फ्लोरिडा स्टेट युनिवर्सिटी में अकाउंटिंग में ऑनर्स के साथ ग्रैजुएट हुई और अपनी कक्षा में काफी ऊँचे स्थान पर रही - तो मेरे मम्मी - डैडी का लक्ष्य पूरा हो गया था । 

यह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि थी । " मास्टर प्लान " के हिसाब से , मुझे एक " बिग 8 " अकाउंटिंग फर्म में नौकरी भी मिल गई । अब मुझे उम्मीद थी एक लंबे करियर और कम उम्र में रिटायरमेंट की । मेरे पति माइकल भी इसी रास्ते पर चले थो हम दोनों ही बहुत मेहनती परिवारों से आए थे जो बहुत अमीर नहीं थे । 

माइकल ने ऑनर्स के साथ ग्रैजुएशन किया था , एक बार नहीं बल्कि दो बार - पहली बार इंजीनियर के रूप में और फिर लॉ स्कूल से उन्हें जल्दी ही पेटेंट लॉ में विशेषज्ञता रखने वाली वॉशिंगटन , डी.सी. की एक मानी हुई लॉ फर्म में नौकरी मिल गई । और इस तरह उनका भविष्य भी सुनहरा लग रहा था । 

उनके करियर का नक्शा साफ़ था और यह बात तय थी कि वह भी जल्दी रिटायर हो सकते थे । हालाँकि हम दोनों ही अपने करियर में सफल रहे , परंतु हम जो सोचते थे , हमारे साथ ठीक वैसा ही नहीं हुआ । हमने कई बार नौकरियाँ बदली - हालाँकि हर बार नौकरी बदलने के कारण सही थे - परंतु हमारे लिए किसी ने भी पेंशन योजना में निवेश नहीं किया । 

हमारे रिटायरमेंट फंड हमारे खुद के लगाए पैसों से ही बढ़ रहे हैं । हमारी शादी बहुत सफल रही है और हमारे तीन बच्चे हैं । उनमें से दो कॉलेज में हैं और तीसरा अभी हाई स्कूल में गया ही है । 

हमने अपने बच्चों को सबसे अच्छी शिक्षा दिलाने में बहुत सा पैसा लगाया । 1996 में एक दिन मेरा बेटा स्कूल से घर लौटा । स्कूल से उसका मोहभंग हो गया था । वह पढ़ाई से ऊब चुका था । " मैं उन विषयों को पढ़ने में इतना ज़्यादा समय क्यों बर्बाद करूँ जो असल जिंदगी में मेरे कभी काम नहीं आएँगे ? " उसने विरोध किया । 

बिना सोचे - विवारे ही मैंने जवाब दिया , " क्योंकि अगर तुम्हारे अच्छे नंबर नहीं आए तो तुम कभी कॉलेज नहीं जा पाओगे । " " चाहे मैं कॉलेज जाऊँ या न जाऊँ , " उसने जवाब दिया , " मैं अमीर बनकर दिखाऊँगा । "

" अगर तुम कॉलेज से ग्रैजुएट नहीं हुए तो तुम्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी , " मैंने एक माँ की तरह विंतित और आतंकित होकर कहा । " बिना अच्छी नौकरी के तुम किस तरह अमीर बनने के सपने देख सकते हो ? " मेरे बेटे ने मुस्कराकर अपने सिर को बोरियत भरे अंदाज़ में हिलाया । 

हम यह वर्वा पहले भी कई बार कर चुके थे । उसने अपने सिर को झुकाया और अपनी आँखें घुमाने लगा । मेरी समझदारी भरी सलाह एक बार फिर उसके कानों से भीतर नहीं गई थी । हालाँकि वह स्मार्ट और प्रबल इच्छाशक्ति वाला युवक था परंतु वह नम्र और शालीन भी था । " मम्मी , " उसने बोलना शुरू किया और भाषण सुनने की बारी अब मेरी थी । " समय के साथ चलिए ! अपने चारों तरफ देखिए ; सबसे अमीर लोग अपनी शिक्षा के कारण इतने अमीर नहीं बने हैं । माइकल जॉर्डन और मैडोना को देखिए । यहाँ तक कि बीच में ही हार्वर्ड छोड़ देने वाले बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कायम किया । 

आज वे अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और अभी उनकी उम्र भी तीस से चालीस के बीच ही है । और उस बेसबॉल पिचर के बारे में तो आपने सुना ही होगा जो हर साल चालीस लाख डॉलर से ज़्यादा कमाता है जबकि उस पर ' दिमागी तौर पर कमज़ोर " होने का लेबल लगा हुआ है । 

हम दोनों काफी समय तक चुप रहे । अब मुझे यह समझ में आने लगा था कि मैं अपने बच्चे को वही सलाह दे रही थी जो मेरे माता - पिता ने मुझे दी थी । हमारे चारों तरफ की दुनिया बदल रही थी , परंतु हमारी सलाह नहीं बदली थी । 

अच्छी शिक्षा और अच्छे ग्रेड हासिल करना अब सफलता की गारंटी नहीं रह गए थे और हमारे बच्चों के अलावा यह बात किसी की समझ में नहीं आई थी । " मम्मी , " उसने आगे कहा " मैं डैडी और आपकी तरह कड़ी मेहनत नहीं करना चाहता । आपको काफी पैसा मिलता है और हम एक शानदार मकान में रहते हैं जिसमें बहुत से क़ीमती सामान हैं । 

अगर मैं आपकी सलाह मानूँगा तो मेरा हाल भी आपकी ही तरह होगा । मुझे भी ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी ताकि मैं ज़्यादा टैक्स भर सकूँ और कर्ज में डूब जाऊँ । वैसे भी आज की दुनिया में नौकरी की सुरक्षा बवी नहीं है । मैं यह जानता हूँ कि छोटे और सही आकार की फर्म कैसी होती है । 

मैं यह भी जानता हूँ कि आज के दौर में कॉलेज के स्नातकों को कम तनख्वाह मिलती हैं जबकि आपके ज़माने में उन्हें ज़्यादा तनख्वाह मिला करती थी । डॉक्टरों को देखिए । वे अब उतना पैसा नहीं कमाते जितना पहले कभी कमाया करते थे । मैं जानता हूँ कि मैं रिटायरमेंट के लिए सामाजिक सुरक्षा या कंपनी पेंशन पर भरोसा नहीं कर सकता । 

अपने सवालों के मुझे नए जवाब चाहिए । " वह सही था । उसे नए जवाब चाहिए थे और मुझे भी । मेरे माता - पिता की सलाह उन लोगों के लिए सही हो सकती थी जो 1945 के पहले पैदा हुए थे पर यह उन लोगों के लिए विनाशकारी साबित सकती थी जिन्होंने तेजी से बदल रही दुनिया में जन्म लिया था । 

अब मैं अपने बच्चों से यह सीधी सी बात नहीं कह सकती थी , " स्कूल जाओ , अच्छे ग्रेड हासिल करो और किसी सुरक्षित नौकरी की तलाश करो । "

मैं जानती थी कि मुझे अपने बच्चों की शिक्षा को सही दिशा देने के लिए नए तरीको की खोज करनी होगी । एक माँ और एक अकाउंटेंट होने के नाते मैं इस बात से परेशान थी कि स्कूल में बच्चों को धन संबंधी शिक्षा या वित्तीय शिक्षा नहीं दी जाती । 

हाई स्कूल खत्म होने से पहले ही आज के युवाओं के पास अपना क्रेडिट कार्ड होता है । यह बात अलग है कि उन्होंने कभी धन संबंधी पाठ्यक्रम में भाग नहीं लिया होता है और उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि इसे किस तरह निवेश किया जाता है । इस बात का ज्ञान तो दूर की बात है कि क्रेडिट कार्ड पर चक्रवृद्धि ब्याज की गणना किस तरह की जाती है । 

इसे आसान भाषा में कहें तो उन्हें धन संबंधी शिक्षा नहीं मिलती और यह ज्ञान भी नहीं होता कि पैसा किस तरह काम करता है । इस तरह वे उस दुनिया का सामना करने के लिए कभी तैयार नहीं हो पाते जो उनका इंतजार कर रही है । एक ऐसी दुनिया जिसमें बचत से ज़्यादा खर्च को महत्व दिया जाता है । 

जब मेरा सबसे बड़ा बेटा कॉलेज के शुरुआती दिनों में अपने क्रेडिट कार्ड को लेकर क़र्ज़ में डूब गया तो मैंने उसके क्रेडिट कार्ड को नष्ट करने में उसकी मदद की । साथ ही मैं ऐसी तरकीब भी खोजने लगी जिससे मेरे बच्चों में पैसे की समझ आ सके । पिछले साल एक दिन मेरे पति ने मुझे अपने ऑफिस से फोन किया । " मेरे सामने एक सज्जन बैठे हैं और मुझे लगता है कि तुम उससे मिलना वाहोगी । 

" उन्होंने कहा , " उनका नाम रॉबर्ट कियोसाकी है । वे एक व्यवसायी और निवेशक हैं तथा वे एक शैक्षणिक उत्पाद का पेटेंट करवाना चाहते हैं । मुझे लगता है कि तुम इसी चीज़ की तलाश कर रही थीं । " जिसकी मुझे तलाश थी मेरे पति माइक रॉबर्ट कियोसाकी द्वारा बनाए जा रहे नए शैक्षणिक उत्पाद कैशपलो से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इसके परीक्षण में हमें बुलवा लिया । 

यह एक शैक्षणिक खेल था , इसलिए मैंने स्थानीय विश्वविद्यालय में पढ़ रही अपनी 19 वर्षीय बेटी से भी पूछा कि क्या वह मेरे साथ चलेगी और वह तैयार हो गई । इस खेल में हम लगभग पंद्रह लोग थे जो तीन समूहों में विभाजित थे । माइक सही थे । मैं इसी तरह के शैक्षणिक उत्पाद की खोज कर रही थी । 

यह किसी रंगीन मोनोपॉली बोर्ड की तरह लग रहा था जिसके बीच में एक बड़ा सा चूहा था । परंतु मोनोपॉली से यह इस तरह अलग था कि इसमें दो रास्ते थे : एक अंदर और दूसरा बाहरा खेत का लक्ष्य था अंदर वाले रास्ते से बाहर निकलना - जिसे रॉबर्ट ' चूहा दौड़ ' कहते थे- और बाहरी रास्ते पर पहुँचना , या ' तेज़ रास्ते पर जाना । 

रॉबर्ट के मुताबिक़ तेज़ रास्ता हमें यह बताता है कि असल जिंदगी में अमीर लोग किस तरह पैसे का खेल खेलते हैं । रॉबर्ट ने हमें ' चूहा दौड़ ' के बारे में बताया : " अगर आप किसी भी औसत रूप से शिक्षित , कड़ी मेहनत करने वाले आदमी की जिंदगी को देखें , तो उसमें आपको एक - सा ही सफर दिखेगा । बच्चा पैदा होता है । स्कूल जाता है । 

By शेरोन शेल्टर 

विषय - वस्तु 

इसकी बहुत जरूरत है 

सबक

अध्याय एक : रिच डैड पुअर डैड 

अध्याय दो : सबक एक : अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते 

अध्याय तीन : सबक दो : पैसे की समझ क्यों सिखाई जानी चाहिए ? 

अध्याय चार : सबक तीन : अपने काम से काम रखो 

अध्याय पाँच : सबक चार : टैक्स का इतिहास और कॉरपोरेशन्स की ताकत 

अध्याय छह : सबक पाँच : अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं 

अध्याय सात : सबक छह : सीखने के लिए काम करें - पैसे के लिए काम न करें 

शुरुआत 

अध्याय आठ : बाधाओं को पार करना शुरू करना 

अध्याय नौ : शुरू करना 

अध्याय दस : और ज्यादा चाहिए ? उपसंहार : केवल 7.000 डॉलर में कॉलेज की शिक्षा

पुस्तक का नाम/ Name of EBook:

Rich Dad And Poor Dad

पुस्तक के लेखक / Author of Book :

Robert T kiyosaki 

पुस्तक की भाषा/ Language of Book :

हिंदी / Hindi

पुस्तक का आकार / Size of Ebook :

 

5 MB

पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total Page in Ebook :

 

225 Page


 

 

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