Super success ke golden rules | Napoleon Hill | सुपर सफलता के सुनहरे नियम | नेपोलियन हिल | Hindi Book

Super success ke golden rules | Napoleon Hill | सुपर सफलता के सुनहरे नियम | नेपोलियन हिल

Super success के golden rules  by नेपोलियन हिल हिन्दी pdf

Super success ke golden rules  नेपोलियन हिल हिन्दी pdf - शायद आप दुनिया भर के उन लाखों लोगों की तरह हैं , जिन्होंने नेपोलियन हिल की रचनाओं को पढ़ा और उनसे लाभ उठाया है । चाहे आप हिल की शिक्षाओं पर चलनेवाले हों या उनकी किसी रचना को पहली बार पढ़ रहे हों , मानवीय संभावनाओं पर इन शिक्षाओं से आप जरूर लाभान्वित होंगे । 

आपके हाथों में जो पुस्तक है , उसका स्रोत वे पत्रिकाएँ हैं , जिन्हें हिल ने अस्सी वर्षों से ज्यादा समय पहले प्रकाशित की थीं । उनकी पहली पुस्तक बाजार में आने से पहले कई वर्षों तक हिल्स गोल्डन रूल मैगजीन ' और ' हिल्स मैगजीन ' प्रकाशित होती रही थीं । उनकी शिक्षाएँ मानवीय संभावनाओं पर एक श्रृंखलाबद्ध लेखन हैं । 

वाइज काउंटी , वर्जीनिया का दूरस्थ पर्वतीय स्थान , जहाँ सन् 1883 में हिल का जन्म हुआ था , गरीबी में पल रहे उस बालक के लिए बहुत सारे अवसर प्रदान नहीं करता था । जब वे दस साल के थे , उनकी माँ का देहांत हो गया था और उसके एक साल बाद उनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया था । 

नेपोलियन की नई सौतेली माँ उस बालक के लिए एक वरदान बनने वाली थी । एक डॉक्टर की पढ़ी - लिखी बेटी मार्था एक युवा विधवा थी । वह अपने अति ऊर्जावान् सौतेले बेटे , जो अकसर शरारतें करता रहता था , को पसंद करने लगी थी । हिल परिवार का नवीनतम सदस्य हिल के लिए प्रोत्साहन का ऐसा स्रोत था , जो उनके लिए जीवनपर्यंत कायम रहा । 

बाद में , जब हिल ने टिप्पणी की थी कि “ मैं आज जो कुछ भी हूँ या होने की तमन्ना रखता हूँ , वह सब उस प्यारी महिला की देन है " वे अपनी सौतेली माँ को ठीक उसी तरह श्रेय दे रहे थे , जैसा अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी सौतेली माँ को दिया था । 

तेरह वर्ष का होते - होते उन्होंने अपनी सौतेली माँ की सहायता से एक पिस्तौल के बदले एक टाइपराइटर खरीद लिया था । उनके लेखों की एक श्रृंखला ने लेखन को एक पेशा बनाने के उनके प्रयासों को प्रोत्साहित किया था । 

हाई स्कूल के दो वर्षों के बाद हिल ने एक बिजनेस स्कूल में दाखिला ले लिया और वहाँ कोर्स पूरा करने के बाद वे रूफस आयरस , जो राज्य संघ ( कॉन्फेडरेसी ) के एक अधिकारी , वर्जीनिया राज्य के एटॉर्नी जनरल और एक समय अमेरिकी सीनेट के उम्मीदवार रहे थे , की कंपनी में नौकरी चाहते थे । 

जनरल आयरस बैंकिंग इमारती लकड़ी और कोयला खनन के व्यवसायों में थे और हिल उन्हें पहाड़ों में सबसे धनवान आदमी मानते थे । परंतु अचानक कानून के पेशे से आकर्षित होकर हिल ने अपने भाई विवियन को इस बात पर सहमत कर लिया कि वह उनके साथ ही जॉर्ज टाउन लॉ स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन करे । 

नेपोलियन एक लेखक के तौर पर काम करने और दोनों की पढ़ाई का खर्च उठाने वाले थे । दोनों ने जॉर्ज टाउन लॉ स्कूल में दाखिला ले लिया और विवियन ने स्नातक का कोर्स पूरा कर लिया । पर नेपोलियन ने दूसरी राह पकड़ ली । उन्होंने ' बॉब टेलर्स मैगजीन ' , जिसके मालिक टेनेसी से अमेरिकी सीनेटर रॉबर्ट टेलर थे , में नौकरी कर ली । 

हिल को जो क्षेत्र सौंपा गया था , वह था -सफलता की कहानियों को कवर करना , जिनमें अलबामा के मोबाइल का एक बंदरगाह के रूप में विकास शामिल था । जब उन्हें एंड्रयू कार्नेगी का इंटरव्यू लेने के लिए कार्नेगी के 45 कमरोंवाले महल में भेजा गया तो वह निर्धारित संक्षिप्त साक्षात्कार होने के बजाय तीन दिनों तक चला । 

कार्नेगी ने उन्हें सफल व्यक्तियों के साक्षात्कार लेने और सफलता का एक दर्शन विकसित करने , जिसके बारे में बाद में नेपोलियन को आम जनता को शिक्षित करना था , की चुनौती दी । 

हिल का जीवन पूरी तरह से बदल गया था और उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने इस अध्ययन के अनुसरण में सफल व्यक्तियों के साक्षात्कार लेने में लगा दिया कि क्यों कुछ लोग जीवन में सफल होते हैं और बहुत सारे दूसरे लोग नहीं होते ? कार्नेगी के परिचय के आधार पर युवा नेपोलियन हिल हेनरी फोर्ड , थॉमस एडिसन , जॉर्ज ईस्टमेन , जॉन डी . रॉकफेलर और अपने जमाने की अन्य मशहूर हस्तियों के संपर्क में आए । 

अपनी पहली पुस्तक लिखने से पहले सफलता के सिद्धांतों पर हिल के अध्ययन ने बीस वर्ष और 500 से ज्यादा साक्षात्कार लिये । हिल 87 वर्ष तक जिए और उन्होंने अपने जीवनकाल में सफलता का दर्शन - सिद्धांत - जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं , जितने वे तब थे , जब उन्होंने उस पर अध्ययन किया और अपने निष्कर्षों को अपनी पुस्तकों में रिकॉर्ड किया था - विकसित किया था । 

असल में उनका पहला टाइटिल सन् 1928 में प्रकाशित ' द लॉ ऑफ सक्सेस ' नामक आठ खंडों का एक सेट था । उन्हें रॉयल्टीज के रूप में प्रतिमाह 2,000 से 3,000 डॉलर मिलते थे । 

यह इतनी भारी राशि थी कि वाइज काउंटी , वर्जीनिया के पहाड़ों , जहाँ उन्होंने अपना बचपन बिताया था , के बीच बहती गेस्ट नदी तक जाने के लिए उन्होंने एक रॉल्स - रॉयस खरीद ली थी । 

हिल ने ' द मैजिक लेडर टु सक्सेस ' नामक एक छोटी पुस्तक लिखी और जहाँ वह ' द लॉ ऑफ सक्सेस ' का एक संक्षिप्त संस्करण प्रतीत होती थी , उसमें धन कमाने के '40 अनोखे विचार ' नामक एक नया खंड जोड़ा गया था । हिल के उन विचारों में स्वचालित गैस फिलिंग स्टेशन , जहाँ वाहन - चालक दिन या रात कभी भी अपने आप गैस भर सकते थे , चोरी रोकनेवाले चाबी - रहित ताले और ताजा सब्जियों से , बिना प्रिजर्वेटि के बननेवाले फाउंटेन ड्रिंक्स शामिल थे । 

और याद रखें , ये विचार सन् 1930 में रखे गए थे ; यह सूची दरशाती है कि हिल कितने भविष्यद्रष्टा थे ! हिल एक भविष्यद्रष्टा थे , इसका एक और सबूत इस तथ्य से जाहिर है कि स्व - सहायता पर आज लिखी जा रही सामग्री का एक बड़ा भाग उन्होंने 80 से अधिक वर्ष पहले अध्ययन करके जो कुछ लिखा था , उसी का रूपांतरण है । 

आज ‘ आकर्षण का नियम ' के बारे में कई पुस्तकें लिखी जा रही हैं , जैसे वह सफलता सुनिश्चित करने का कोई नया सिद्धांत हो । हिल ने ' हिल्स गोल्डन रूल मैगजीन ' के मार्च 1919 के अंक में इस नए सिद्धांत के बारे में लिखा था , जिसे इस पुस्तक के अध्याय 4 ‘ जवाबी काररवाई का नियम ' में शामिल किया गया है । 

आज ढेरों ऐसी पुस्तकें हैं , जिनमें हिल की एक या अधिक रचनाओं के संदर्भ मौजूद हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अब तक के सभी प्रेरणादायक लेखकों या वक्ताओं में सबसे ज्यादा उद्धृत किए जाते हैं । उनकी रचनाओं के अंश कभी - कभी तो अक्षरशः उद्धृत किए जाते हैं और कभी - कभी मामूली बदलावों के साथ । 

सन् 1937 में हिल ने अपनी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक ' थिंक एंड ग्रो रिच ' लिखी , जो भयंकर मंदी के उस दौर में भी 2.50 की कीमत पर उनकी पिछली पुसतक की तुलना में तीन गुना बिकी और ध्यान रहे कि उस समय आज की तरह धुआँधार और व्यापक विज्ञापनबाजी मौजूद नहीं थी । 

पूरी दुनिया में ' थिंक एंड ग्रो रिच ' की 6 करोड़ प्रतियाँ बिक चुकी हैं और अब भी प्रति वर्ष करीब 10 लाख प्रतियाँ बिकती हैं । आज आमतौर पर एक पुस्तक की 1 लाख प्रतियाँ बिकने पर वह बेस्टसेलर की श्रेणी में आ जाती है । हिल की सभी पुस्तकें इससे अधिक संख्या में और अधिकांश 10 लाख से ज्यादा बिकी हैं । 

आज अधिक लोकप्रिय पुस्तकों की शेल्फ - लाइफ ( वह अवधि , जिसमें पुस्तक की माँग है और वह प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के स्टॉक में बनी रहती है ) एक या दो वर्ष होती है । हिल की ' द लॉ ऑफ सक्सेस ' सन् 1928 से लगातार प्रकाशन में है , ' थिंक एंड ग्रो रिच ' 1937 ' से मास्टर - की टु रिचेज ' 1945 से , ' सक्सेस श्रू ए पॉजिटिव मेंटल एटिट्यूड ' 1960 से , ' ग्रो रिच विद पीस ऑफ माइंड ' 1967 से और ' यू कैन वर्क योर ओन मिरेकल्स ' 1971 से लगातार प्रकाशन में हैं । 

दूसरे शब्दों में , हिल की पुस्तकें , जब उन्होंने उन्हें पहली बार लिखा था , तब की तुलना में आज बेहतर बिकती हैं । 

-डॉन , एम . ग्रीन कार्यकारी निदेशक द नेपोलियन हिल फाउंडेशन


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