द थ्री मिस्टेक ऑफ माय लाइफ | The Three Mistake Of My Life | Chetan Bhagat

द थ्री मिस्टेक ऑफ माय लाइफ | The Three Mistake Of My Life | Chetan Bhagat 

The Three Mistake Of My Life By Chetan Bhagat hindi Pdf Ebook

परिचय

 The Three Mistake Of My Life By Chetan Bhagat hindi Pdf Ebook  अहमदाबाद में कहीं एक साधारण सा जवान बिजनेसमैन जिसने मुझे ई - मेल करते हुए 19 नींद की गोलियां निगल ली और वह मुझसे आशा करता है कि मैं अपना सप्ताहांत खुशी से बिताऊं । 

कॉफी मेरे गले से नीचे नहीं उतर रही थी । मैं पसीने से तर - ब - तर हो रहा था । ' एक , तुम देर से उठे । दूसरे उठते ही तुम सबसे पहले कम्प्यूटर पर बैठ गए । क्या तुम भूल गए कि तुम्हारा एक परिवार भी है ? ' अनुषा ने कहा । इस सूरत में उसका साधिकार यह कहना काफी नहीं था कि अनुषा मेरी पत्नी है ? 

मैंने उससे वादा किया था कि मैं उसके साथ फर्नीचर खरीदने चलूंगा । खरीददारी का यह वादा दस हफ्ते पहले किया गया था ? उसने मेरा कॉफी का कप उठाया और मेरी कुर्सी को हिलाया । ' हमें कुछ डाइनिंग चेयर्स की जरूरत है ? ' ' क्या बात है तुम कुछ परेशान लग रहे हो ? ' उसने कहा । मैंने मॉनीटर की ओर इशारा किया । 

मेल पढ़ते ही उसने कहा - ' बिजनेसमैन ? वह भी थोड़ा कांप गई । " और यह अहमदाबाद से है ' , मैंने कहा ' वह सब हमें पता है । ' क्या तुम्हें लगता है यह सत्य है ? ' वह बोली , उसकी आवाज में कंपन था । ' यह स्पैम नहीं ' मैंने कहा ' यह मुझे संबोधित की गई है । ' मेरी पत्नी ने बैठने के लिए स्टूल खींच लिया ? मुझे लगा हमें वाकई कुछ कुर्सियों की जरूरत है । 

' सोचो हमें किसी और को यह बात बतानी चाहिए , अच्छा हो अगर उसके माता- -पिता को बता पाएं ' उसने कहा ' ' कैसे ? मुझे पता नहीं यह सन्देश मेरे पास कहाँ से आया ' मैंने कहा ' और हम अहमदाबाद में किसे जानते हैं ? ' ' हम अहमदाबाद में ही मिले थे याद है ? ' - अनुषा ने कहा । एक निराधार बात मैंने सोची । 

आई आई एम - ए हाँ , हम वर्षों पहले आईआईएम - ए में क्लास मेट थे ' तो ' मैंने कहा । ' संस्थान को फोन करो , प्रो . बसंत या किसी और को ' उसने कहा और कमरे से बाहर निकल गई यह कहते हुए कि दाल जल रही है ? अपने से अधिक समझदार पत्नी का होना कई बातों में फायदेमद हैं । मैं कभी भी जासूस नहीं बन सकता । 

मैंने इंटरनेट पर इंस्टीट्यूट का नंबर ढ़ा और फोन मिलाया । एक ऑपरेटर ने मुझे प्रो . वसंत के घर का नंबर मिला दिया । मैंने समय देखा , सिंगापुर में इस वक्त दस बजे थे और भारत में सुबह के साढ़े सात । मुझे यह अच्छा नहीं लगा कि सुबह सुबह किसी प्रो . को डिस्टर्ब किया जाए । ' हैलो ' एक नींद से भरी आवाज थी । प्रोफेसर ही होंगे । 

' प्रो . बसंत , हाय । मैं चेतन भगत बोल रहा हूँ ? आपका पुराना विद्यार्थी , याद है आपको ? ' कौन ? ' उनकी आवाज में अपरिचय का पुट था । मैंने सोचा बुरी शुरूआत । फिर मैंने उन्हें याद दिलाया जो विजय वो हमें पढ़ाते थे और कैसे हमने उन्हें वोट दिए थे कैम्पस के सबसे फ्रैंडली प्रोफेसर होने का । प्रशंसा ने अपना रंग दिखाया । 

ओह वह चेतन भगत ' , उन्होंने कहा , जैसे वो हजारों को जानते हों , ' तुम अब लेखक हो न ? ' ' हां सर , वही ।'- मैंने कहा । ' अच्छा तो तुम पुस्तकें क्यों लिख रहे हो ? ' ' बड़ा कठिन प्रथ है सर । ' ' अच्छा , ठीक है , तो एक आसान सवाल है . तुम मुझे शनिवार को इतनी सुबह सुबह क्यों फोन कर रहे हो ? ' मैंने उन्हें सारी बात बताई और ई - मेल उन्हें भेज दिया । 

' कोई नाम नहीं वे बोले , जैसे ही उन्होंने ई - मेल पढ़ा । ' वह अहमदाबाद के किसी हस्पताल में हो सकता है ? हो सकता है उसका चैक - अप हो रहा हो , हो सकता है वह मर गया हो । हो सकता है वह घर पर ही हो - कुछ भी हो सकता है । मैंने कहा । मैं दुविधा में था , परेशान था । मैं अपने और उस लड़के के लिए मदद चाहता था । 

प्रोफेसर ने मुझसे एक अच्छा सवाल किया था मैं लिखता ही क्यों हूँ - ऐसी बातों में पड़ने के लिए ? ' हम हस्पतालों में पता कर सकते हैं ? " प्रोफेसर ने कहा , ' मैं अपने स्टूडेंटस को कहता हूँ , पर अगर उसका नाम पता चल जाता तो काम

आसान हो जाता , ओह ठहरो , उस लड़के का जी - मेल में एकाउंट होगा , हो सकता है वो ऑरकुट पर हो । ' ' और क्या ? कई बार अपने से अधिक चुस्त लोगों से बात करने पर भी समस्या हो जाती है । तुम दुनिया से अलग रहते हो चेतन । ओरकुट एक नेटवर्क साइट है । जी - मेल का इस्तेमाल करने वाले वहां पर अपने साइन करते हैं । 

अगर वह लड़का वहां का मैंबर होगा तो वहां उसने साइन जरूर किए होंगे । और किस्मत अच्छी हुई तो हमें वहां से उसके नाम का पता चल जाएगा । मैंने उसकी नॉब घुमाने की आवाज सुनी । मैं अपने पी . सी के सामने बैठ गया । मैं अभी ऑरकुट की साइट देख ही रहा था कि एकदम प्रोफेसर बसंत की आवाज सुनाई दी , ' अहा , अहमदाबाद बिजनेसमैन । 

उसका थोड़ा सा परिचय है । नाम है जी.पटेल , दिलचस्पी - क्रिकेट में , बिजनैस में , मैथेमाटिक्स और - दोस्तों में ? क्या तुम्हें नहीं लगता कि वह ऑरकुट का काफी इस्तेमाल करता होगा । ' ' प्रो . बसत ! आप क्या बात कर रहे हैं ? मैं उसके सुसाईड नोट से परेशान हूँ जो उसने खास तौर पर मुझे भेजा है और आप मुझे उसकी हॉबीज के बारे में बता रहे हैं ? आप मेरी कोई मदद कर सकते हैं या ....... ? " कुछ समय की चुप्पी के बाद , ' मैं अपने कुछ स्टूडेंटस के साथ किसी जवान पेशेंट की तलाश करता हूं जिसने नींद की गोलियां जरूरत से ज्यादा खाली हौ और जिसका नाम जी - पटेल है । 

अगर हमें कुछ पता चला तो तुम्हें सूचना दे देंगे , ओ.के .। ' ' ठीक है सर , ' मैंने निश्चितता से सांस लेते हुए कहा ? ' अच्छा अनुषा कैसी है ? तुम दोनों अपनी डेट पर जाने के लिए मेरी क्लास से बंक मार जाते थे और अब मुझे भूल गए हो । ' सर ! वो बिल्कुल ठीक है । ' ' अच्छा है , मैं हमेशा महसूस करता था कि वह तुमसे ज्यादा स्मार्ट है । 

खैर तुम्हारे उस लड़के की तलाश करते हैं । प्रो . ने कहा और बंद कर दिया । फर्नीचर की खरीददारी के साथ , मैंने अपने आफिस का एक काम भी करना था , मेरा और माइकिल का बॉस न्यूयार्क में आने वाला था । माइकिल ने कहा था कि बॉस को प्रभावित करने के लिए हम 50 चार्टस के साथ अपने ग्रुप की प्रेजेंटेशन करें । 

मैं पिछले हफ्ते से रात एक बजे तक काम करता रहा फिर भी आधा ही हो पाया । ' मेरा एक सुझाव है अगर तुम अन्यथा न लो । पर नहाने का विचार बनाओ ' । मेरी पत्नी ने कहा । मैंने उसे देखा । ' एक विकल्प है । उसने कहा । मैंने सोचा वह कभी - कभी ज्यादा ही सोचने लगती है । मैंने कोई जवाब नहीं दिया । ' हां ! हां ! मैं नहा लूंगा ' , मैंने कहा और फिर कम्प्यूटर की तरफ देखने लगी । विचार मेरे दिमाग में घूमते रहे । 

क्या मैं भी अपनी तरफ से कुछ हस्पतालों में पता करूँ ? क्या होगा , अगर प्रो . बसंत कुछ कर न पाए ? क्या वे स्टूडेंटस को इकट्ठा न कर पाए ? क्या होगा अगर जी . पटेल मर गया हो ? और मैं क्यों इन बातों में उलझता जा रहा हूँ । मैं शावर के नीचे खड़ा हो गया । फिर आ कर मैंने आफिस काम करने की कोशिश की पर व्यर्थ । 

मैं एक भी शब्द टाइप नहीं कर पाया । मैंने नाश्ते के लिए भी मना कर दिया बाद में मुझे इसका पक्षाताप हुआ क्योंकि भूख और उत्सुकता साथ - साथ नहीं चल पाती । 1.33 पर मेरे फोन की घंटी बजी । ' हैलो ' निःसंदेह प्रो . बसंत की आवाज थी , ' सिविल हास्पिटल में है ? 

उसका नाम गोविन्द पटेल है , 25 वर्ष का है मुझे पता चला कि वो मेरा ही सैकिंड ईयर का स्टूडेंटस ' है । ' और ' ' और वह जिन्दा है । पर बात नहीं करता , अपने परिवार से भी नहीं । शायद सदमे में है । ' ' डाक्टर क्या कहते हैं ? ' मैंने पूछा । ' कुछ नहीं , यह सरकारी हस्पताल है ? तुम क्या उम्मीद करते हो ? खैर वो उसका पेट साफ कर देंगे और उसे घर भेज देंगे । 

मैं अब ज्यादा फिक्र नहीं करूंगा । अपने एक स्टूडेंटस से कहूंगा कि वो शाम को जाकर एक बार फिर देख आए । ' ' पर उसकी कहानी क्या है ? हुआ क्या ? ' ' वो सब मुझे नहीं पता । सुनो तुम भी अपना दिमाग ज्यादा खराब न करो । 

इंडिया एक बड़ा देश है । ये सब यहां चलता है । तुम जितना भी इसमें उलझोगे पुलिस तुम्हें उतना ही परेशान करेगी । ' इसके बाद मैंने हस्पताल में फोन किया । पर ऑपरेटर इस केस के बारे में कुछ नहीं जानता था और संबंधित वार्ड में फोन - लाईन मिलाने की सुविधा नहीं थी । अनुषा ने भी चैन की सास ली कि लड़का सेफ है । फिर उसने दिन का प्रोग्राम बताया- डाईनिंग चेयर्स खरीदने का- जो एलेग्जेंडरा रोडपर मिलेंगी । हम वहां तीन बजे पहुंचे ! 

हमने कम जगह घेरने वाली टेबल - चेयर्स देखी ? एक टेबल देखी जो चार बार फोल्ड होकर कॉफी टेबल बन जाती थी । बड़ी सुन्दर थी । ' मैं जानना चाहता हूँ कि 25 साल के बिजनेस मैन को आखिर हुआ क्या था ? ' मैं बुदबुदाया । ' तुम्हें पता चल जाएगा , उसे जरा ठीक हो जाने दो । 

जवानी के कुछ कारण होंगे , प्रेम में धोखा , कम नम्बर या ड्रग्स वगैरह । ' मैं चुप रहा । ' अब छोड़ , भी , उसने तुम्हें ई - मेल किया । तुम्हारे ऑफिस का काम तुम्हारे आगे है । तुम्हें इस बात में और उलझने की जरूरत नहीं है । 

बताओ कुर्सियां छ : लेनी हैं या आठ ? ' वह शीशम के बने एक सैट की तरफ बढ़ी । मैंने कहा हमारे घर इतने कौन से मेहमान आते हैं ? छः ही काफी होंगी । ' दो फालतू कुर्सियों की जरूरत मुश्किल से 10 प्रतिशत है । ' मैंने कहा । ' तुम आदमी भी विकुल मददगार नहीं होते ? ' वह मुड़ी और छ : कुर्सियां चुन लीं । मेरा दिमाग फिर बिजनेसमैन की तरफ घूम गया । 

हां , सभी ठीक ही कहते हैं मुझे इस में इतना नहीं उलझना चाहिए ? पर फिर भी दुनिया के सारे लोगों को छोड़ कर उसने मुझे ही अपना आखिरी नोट क्यों भेजा । मैं कोई मदद नहीं कर सका पर उलझ जरूर गया हूँ । हमने आईकिया के आगे फूड कोर्ट में अपना लंच लिया । ' मुझे जाना पड़ेगा मैंने अपनी पत्नी को लेमन राइस खाते हुए बताया । ' कहां ? ऑफिस । ओ.के. मेरा काम हो गया है तुम अब फ्री हो ' मेरी पत्नी ने कहा । ' नहीं । मैं अहमदाबाद जाना चाहता हूँ । 

मैं गोविन्द पटेल से मिलना चाहता हूँ ? ' मैंने उससे नजरें चुराते हुए कहा । ' क्या तुम पागल हो ? ' मेरा ख्याल है कि यह केवल मेरी जैनरेशन में ही कि भारतीय औरतें अपने पतियों को मात देती हैं ? ' मेरा दिमाग बार - बार वहीं जा रहा है । मैंने कहा । ' तुम्हारी प्रेजेंटेशन का क्या होगा ? माइकल तुम्हें छोड़ेगा नहीं । ' " मैं जानता हूँ । 

उसे प्रोमेशन नहीं मिलेगी अगर वह अपने बॉस को प्रभावित नहीं कर सका । ' मेरी पत्नी ने मेरी ओर देखा ? मेरा चेहरा खुद एक बाद बना हुआ था । वह जानती थी कि मैं जब तक उस लड़के को मिल नहीं लूंगा । मैं सहज नहीं हो पाऊँगा । ' अच्छा , वहां के लिए एक ही सीधी फ्लाइट है शाम छ : बजे । तुम टिकट के बारे में पता कर लो । ' उसने सिंगापुर लाइन का नम्बर मिलाया और फोन मुझे थमा दिया । नों द्वारा बताए गए कमरे में मैं गया । 

वहां इतनी चुप्पी और अंधेरा था कि मेरे कदमों की आहट सुनाई दे रही थी । दस डॉक्टरी उपकरण लगे हुए थे जिनकी तारें उस आदमी पर जा कर खत्म हो जाती थीं । कुछ अंतराल पर लाईटें जलती - बुझती थीं । हजारों मील का सफर तय कर , इस गोबिन्द पटेल को मैं देखने आया था । सबसे पहले मैंने उसके धुंघराले बालों को देखा । 

उसका रंग गेहुंआ था और भरी भौहें । दवाइयों ने उसके होठों को खुश्क कर दिया था । ' हाय , चेतन भगत .. लेखक जिसे तुमने लिखा था ' मैंने कहा , विश्वास नहीं था कि वह मुझे पहचाने । ' ओह , तुम ने मुझे .... कैसे ढूंढ लिया ? " उसने कहा , बोलने में उसे दिक्कत महसूस हो रही थी । ' मैंने अंदाजा लगाया .... और पहुंच गया । मैंने कहा । 

मैंने हाथ मिलाया और उसके पास बैठ गया । उसकी मां कमरे में आई । वो भी नींद में लग रही थी । शायद वो भी स्लीपिंग पिल्स का इस्तेमाल करती होगी । मैंने उसका अभिनन्दन किया , फिर वह बाहर चली गई चाय लाने के लिए । मैंने फिर लड़के की तरफ देखा । 

मेरी दो प्रबल इच्छाएं जागृत हुई - पहली यह कि उसे पूडूं कि क्या हुआ था , दूसरी कि उसे थप्पड़ मारूं । उसने अपने बिस्तर से जरा उठते हुए कहा , ' ऐसे मत देखो तुम मुझ से काफी नाराज हो , सॉरी । मुझे तुम्हें वह मेल नहीं भेजनी चाहिए थी । ' ' मेल को भूल जाओ जो तुमने किया , वो तुम्हें नहीं करना चाहिए था । 

' उसने गहरी सांस ली । उसने मुझे पूरा और फिर सब तरफ देखा । ' मुझे कोई अफसोस नहीं ' उसने कहा । ' शटअप । इसमें कोई बहादुरी नहीं । डरपोक गोलियां खाते हैं । '

' तुम भी ऐसा ही करते , अगर तुम मेरी जगह पर होते ? ' ' क्यों ? तुम्हें क्या हुआ था ? " ' इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । ' हम खामोश हो गए क्योंकि उसकी मां चाय लेकर आ गई थी । इतने में एक नर्स आई और उसने उसकी मां को घर जाने को कहा पर उसने साफ इंकार कर दिया । आखिर डाक्टर को बीच में पड़ना पड़ा । 

वह रात के 11.30 बजे चली गई । मैं कमरे में रुक गया , डॉक्टर से इजाजत लेकर मैं जल्दी ही चला जाऊँगा । ' चलो , अब तुम मुझे अपनी कहानी सुनाओ ' मैंने कहा जब हम अकेले हो गए । क्यों ? तुम मेरे लिए क्या करोगे ? जो हो चुका है ? उसे तुम बदल नहीं सकते । ' उसने बड़े थके हुए लहजे में कहा । 

' तुम कहानी केवल इसलिए नहीं सुनते कि बीत चुके को बदला जा सके । कई बार यह महत्वपूर्ण होता है कि जाना जाए कि क्या हुआ था । ' ' मैं एक बिजनेसमैन हूँ । मेरे साथ जो भी लोग संबंध रखते हैं केवल अपने फायदे के लिए । तुम्हारा क्या फायदा है इसमें ? और फिर मैं अपना समय क्यूं बर्बाद करूं तुम्हें बताने में ? ' मैंने उस कोमल से चेहरे को गौर से देखा और देखी उसमें छिपी कठोरता को । 

' क्योंकि मैं इसे दूसरों तक पहुंचाना चाहता हूँ । ' मैंने कहा ' यही मेरी दिलचस्पी है । ' ‘ क्यों कोई भी इसकी परवाह करे । ' मेरी कहानी कोई डंडी या ड्री या सैक्सी नहीं आई आई टी या कॉल - सैंटर्स की तरह । वो हिला और उसने अपनी रजाई उतार दी जो उसके सीने को ढके हुए थी । हमारे वार्तालाप और हीटर ने कमरे को गर्म रखा । 

' मैं सोचता हूँ , वो परवाह करेंगे । ' मैंने कहा , ' एक जवान लड़का आत्म - हत्या करने की कोशिश करता है , यह बात जंचती नहीं । ' ' कोई भी मेरी तरफ ध्यान नहीं देता । ' मैंने कोशिश की , पर अपने पर संयम रखना मुश्किल हो रहा था । मैंने उसके थप्पड़ मारने की दुबारा सोची । ' सुनो , ' मैंने कहा , ऊँची आवाज में जितनी कि हस्पताल में जायज थी । 

' तुमने आखिरी मेल भेजने के लिए मुझे चुना । इसका मतलब है कि काफी हद तक तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास था ? मैंने तुम्हे ढूंढा और मेल मिलने के कुछ ही घंटों में मैं उड़कर तुम्हारे पास आया हूँ ? फिर भी तुम पूछ रहे हो कि मैं तुम्हारी परवाह करता हूँ ? और अब तुम्हारा यह - -नजरिया , यह गुस्सा क्या तुम्हारे बिजनैस का हिस्सा है ? क्या तुम मेरे साथ एक दोस्त की तरह बात नहीं कर सकते ? क्या तुम जानते भी हो कि एक दोस्त क्या होता है ? ' मेरी ऊंची आवाज सुन कर एक नर्स कमरे में आई । 

हम चुप हो गए । घड़ी आधी रात की सूचना दे रही थी । वह भौचक्का सा बैठा था । आज के दिन सभी ने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया था । मैं खड़ा हो गया और उससे थोड़ा दूर चला गया । ' मैं जानता हूँ कि एक दोस्त क्या होता है ! ' आखिर में उसने कहा । मैं फिर उसके पास बैठ गया । ' मैं जानता हूँ कि दोस्त क्या होता है ! क्योंकि मेरे दो दोस्त थे दुनिया में सबसे अच्छे ।

पुस्तक का नाम/ Name of EBook:

द थ्री मिस्टेक ऑफ माय लाइफ | The Three Mistake Of My Life |

पुस्तक के लेखक / Author of Book :

Chetan Bhagat 

पुस्तक की भाषा/ Language of Book :

हिंदी / Hindi

पुस्तक का आकार / Size of Ebook :

 

2 MB

पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total Page in Ebook :

 

131  Page


 

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