सफलता की प्रसन्नता | HAPPINESS OF SUCCESS BOOK | FREE PDF DOWNLOAD

सफलता की प्रसन्नता | HAPPINESS OF SUCCESS BOOK FREE PDF DOWNLOAD | SWET MARDEN

HAPPINESS OF SUCCESS BOOK FREE PDF DOWNLOAD


सफलता की प्रसन्नता HAPPINESS OF SUCCESS " चीजें नहीं बदलती हैं , हम बदल जाते हैं । एक आदत की शुरुआत एक अदृश्य धागे की तरह होती है , लेकिन हर बार जब हम अधिनियम को दोहराते हैं तो यह धागे को मजबूत करता है , यह एक और धागा जोड़ता है , जब तक कि यह एक विशाल रस्सी नहीं बन जाता और हमें बांध देता है बिना सोचे समझे और कार्रवाई में । 

" स्मरण रहे कि जितनी बार भी आप निराशा के आगे घुटने टेकते हैं , जितनी बार आप निरुत्साहित होते हैं उतनी ही बार आप अपनी उन आशाओं के भवन को ध्वस्त करते हैं , जिन्हें आपने बड़े परिश्रम से बनाया था । जिस मनुष्य के स्वभाव में ही निराशा भरी हो , जो सदा उत्साहहीन रहता हो , वह स्वयं अपने ही विचारों के कारण ' मृत ' होता है । 

उसे अपने ही विचारों का मारा हुआ कहना चाहिए । ऐसे मनुष्य की आयु के कई वर्ष कम हो जाते हैं । क्योंकि निषेधात्मक मनोवृत्ति से आयु घटती ही है । यही परिणाम निष्क्रियतापूर्ण मनोवृत्ति का भी होता है । कितने आश्चर्य की बात है कि हम विश्व में स्वास्थ्य को सबसे बड़ा वरदान मानते हैं , फिर भी हम सदा अपने स्वास्थ्य को नष्ट करने की बात करते रहते हैं । 

क्या यह आश्चर्य की बात नहीं कि जब हम हर्षित रहना चाहते हैं , प्रसन्नता के लिए लालायित होते हैं , मन की शान्ति प्राप्त करना चाहते हैं , उसके लिए हमें उत्सुकता होती है , हम सुखी होना चाहते हैं , तब हम निराशा - भरे विचारों का इस प्रकार स्वागत करते हैं जैसे किसी प्रिय अतिथि का किया जाता है ।

 निराशा हमारी प्रसन्नता , सुख और शान्ति को नष्ट ही नहीं करती , वह हमारे उन संकल्पों की भी हत्या कर देती है जो हमने कुछ सत्कर्मों को करने के लिए किए थे । निराशा हमारी आशाओं तथा आकांक्षाओं को भी ध्वस्त कर देती है । 

हमारे मन और शक्ति का । इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि जिन बातों का एक पर प्रभाव पड़ता है , उसका दूसरे पर भी प्रभाव अवश्य पड़ता है । यदि मन में निराशा आती है , तो हमारा शरीर भी शिथिल , रुग्ण एवं अकर्मण्य हो जाता है ।

" महान काम करने वाले सभी लोग महान सपने देखने वाले थे । " 

आप शायद यह नहीं जानते कि जितनी बार आपको निराशा घेरती है , जित तर आप निरुत्साहित होते हैं , उतनी ही बार आपमें निष्क्रियता आती है और उतनी । ही बार आपकी शारीरिक शक्ति नष्ट होती है । जितनी बार भी निराशा आपको घेरती है , उतनी बार ही आपका मन अवांछित रसायनों से विषाक्त होता है और वह विषं आपके मस्तिष्क को भी दूषित कर देता है ।

बहुत - से नर - नारी यह नहीं समझते कि निषेधात्मक , नकारात्मक तथा विध्वंसात्मक विचार वह सब कुछ नष्ट कर देते है जिसे हमने बड़े यत्न से संजोया था , जिसके लिए बड़ी आशा आकांक्षाएं पाली थीं । 

लोग यह नहीं समझते कि वे अपनी चित्तवृत्तियों को दूषित करके अपनी ही प्रसन्नचित्तता को नष्ट करते हैं , अपने आदर्शों को नष्ट करते हैं तथा इससे अपना जीवन बिगाड़ लेते हैं । 

यह एक विचित्र तथ्य है कि हमारे कई महान् । ये व्यक्तियों में भी निराशा के भाव कई बार आ जाते थे और इसी निराशा की काली रेखा के कारण उनमें से कई मानसिक रोगों के शिकार बने तथा उनकी महान् सफलताओं में बाधा पहुंची । 

मन में निरन्तर निराशा के विचार आने से , उत्साह भंग होता है और उससे व्यक्ति की आकांक्षाएं ही नहीं कुचली जातीं , अपितु कार्य के लिए जागृति भी मन्द पड़ती है , आदर्श स्पष्ट नहीं रहते , धुंधले पड़ने लगते हैं और मानसिक शक्ति भी प्रायः नष्ट हो जाती है । 

स्मरण रहे कि जितनी बार भी आप निराशा के आगे घुटने टेकते हैं , जितनी बार निरुत्साहित होते हैं , उतनी ही बार आप अपनी उंन आशाओं के भवन को ध्वस्त करते हैं , जिन्हें आपने बड़े श्रम से बनाया था । 

जितनी बार आपकी आशाएं - आकांक्षाएं धराशायी होती हैं , उतनी ही बार आपकी मानसिक शक्तियां कार्य के अयोग्य हो जाती हैं , अर्थात् स्वयं आप उन्हें कार्य के अयोग्य और निकम्मा बनाते हैं । 

जो मन निरुत्साहित है , वह किसी भी प्रकार निर्माण कार्य कैसे करेगा ? वह तो रचनात्मक रह ही नहीं सकता , क्योंकि वह तो तोड़ - फोड़ करने में - ध्वंस । करने में लगा हुआ है ।

" असाधारण अवसरों की प्रतीक्षा न करें- सामान्य अवसरों को पकड़ें और उन्हें बड़ा करें ! कमजोर पुरुष अवसरों की प्रतीक्षा करते हैं , मजबूत पुरुष उन्हें पैदा करते हैं " 

भावार्थ यह कि यदि आप निराशा के भाव अपने मन में आने देते हैं तो निश्चय जानिए कि आप अपने हाथों अपना विनाश कर रहे हैं । केवल विधेयात्मक मन ही रचना और निर्माण कर सकता है ।

सफलता की प्रसन्नता | HAPPINESS OF SUCCESS BOOK FREE PDF DOWNLOAD 

इस Book को Amazon से Buy करने के लिए यहां क्लिक करें 

Buy Now 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ