तनाव मुक्त जीवन के रहस्य
तनाव मुक्त जीवन के रहस्य - जिन्दगी की भागदौड़ , आपाधापी , खींचातानी - नतीजा , तनाव । अब न आप भागदौड़ कम कर सकते हैं और न ही खींचातानी और आपाधापी को जिन्दगी से निकाल कर फेंक सकते हैं । यह सब तो जीवन का अंग बन चुके हैं । इनसे अलग रहकर तो इस दौर में जिया नहीं जा सकता है ।
परिणाम अनुकूल न आये तो तनाव , बिजनेस में बकाया पैसा वसूल न हो तो तनाव , नौकरी में बॉस ने कुछ कह दिया , सहकर्मियों ने काम में अडंगा लगा दिया तो तनाव , पड़ोसियों से अनबन , पति पत्नी के बीच बढ़ती मानसिक दूरियाँ , नाते रिश्तेदारों के बीच बढ़ते उभरते मतभेद , बच्चों का अपने कैरियर के प्रति लापरवाह रहना , आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबे सरकारी दफ्तरों में काम कराना , माफियाओं और छुटभैया बदमाशों के चंगुल में पड़ना , जातिपरस्तता , धर्मान्धता , भाई - भतीजावाद , गुटबाजी , बेरोजगारी , हारी - बीमारी , भीड़ शोरगुल , प्रदूषण , बेईमानी , बेवफाई , तानें - छींटाकशी , घर की कलह , मुकदमा - कचहरी , ज़र - जमीन , जोरू , थाना - पुलिस , अस्पताल आदि का चक्कर इत्यादि भाँति भाँति कारणों से उत्पन्न तरह - तरह के तनाव और इन तनावों के बीच में आप अकेले , बिल्कुल अकेले ।
क्या ऐसा कुछ हो सकता है कि तनाव हो ही न और अगर हो जाये तो उसे सहजता से दूर किया जा सके , बिना किसी साईड इफेक्ट के । डायबिटीज , ब्लड प्रेशर , हार्ट एवं पेट के कई रोग तनाव के कारण भी उत्पन्न हो जाते हैं । उनका इलाज चलता रहता है , लेकिन वे जड़ से खत्म होने का नाम ही नहीं लेते हैं ।
क्येंकि इसकी जड़ तो तनाव है और तनाव दूर नहीं होता , बराबर बना रहता है । इन्सान की सोच इन तनावों के पीछे बहुत हद तक जिम्मदार होती है । आपकी बुनियादी सोच यानी मौलिक सोच कुछ है भी अथवा नहीं , यदि नहीं , तो आप तनाव का शिकार होंगे , और अगर वह है किन्तु भौतिकता पर आधारित है , तो भी आप तनाव के शिकार होंगे ।
लेकिन आप तनाव के शिकार नहीं होंगे यदि बुनियादी सोच इस सच्चाई पर आधारित है कि जो कुछ होने वाला है या हो रहा है अथवा हो चुका है , वह सब ईश्वर की मर्जी है , उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता । दूसरी यह कि , हम जो करते हैं , हमें लगता है कि हम करते हैं , पर वास्तव में ऐसा है नहीं ।
वह सब ईश्वर ही हमारे आपके माध्यम से कर रहा है । यही कारण है कि अपनी उम्र के ईश्वर द्वारा निर्धारित पड़ाव पर पहुँच कर ही दुनिया के महान कहलाने वाले व्यक्तियों को लोगों ने जाना , वरना उससे पहले उनकी भी गिनती मात्र साधारण व्यक्तियों में ही थी । जैसे मोहम्मद साहब , गाँधी जी आदि ।
और दुनिया के बड़े बुदध्मिान , होशियार , समर्थवान कहलाने वाले व्यक्ति , जो हर विपरीत परिस्थिति को भी चुटकी बजाते अपने पक्ष में कर लेने में माहिर थे , अपनी उम्र के ईश्वर द्वारा निर्धारित पड़ाव पर पहँचकर नेस्तनाबूद हो गये ।
उनका वह बुद्धि , बल , वैभव , उनकी वह समर्थता , जिसका डंका बजता था , बिल्कुल नकारा हो गये । जैसे रावण व हिटलर आदि ।
यहाँ एक बात और है , और वह यह कि , कोई यह न कहे कि साहब , मैंने फलाँ अकल दौड़ाई तो मेरा फला काम हो गया अथवा यह कि मेरे दम का जहूरा था कि मैंने चुटकी बजाते उसको उल्टा कर दिया वरना और किसी में यह दम नहीं था कि यह काम कर पाता ।
जनाब इस भूल में न रहिये । दुनिया के महान से महान कहलाने वाले और ऐसा भी व्यक्ति जिनके नाम से भी दुनिया काँपती थी , वे भी , उस समय जब उनका डंका बज रहा था , दुनिया छोड़ चले या परास्त हो गये ।
उनका नाम आज लोग जानते हैं लेकिन कल , जब यह दुनिया पलटेगी , उन्हें भी कोई न जानेगा ऐसे ही न जाने कितने ही महान से महान और शातिर से शातिर हुए होंगे जिन्हें कोई नहीं जानता । ये सूरज , ये चाँद , ये तारे , ये ग्रह , ये नक्षत्र , ये धरती और ये आकाश , सब उसकी मरजी है ।
ये मोहम्मद साहब , ये गौतम , ये गाँधी , ये ईसामसीह , ये गुरू नानकदेव आदि सब उसकी मरजी थे । इनमें से किसी की भी कोई हस्ती नहीं । हस्ती है तो केवल उसकी , उस अल्लाह की उस खुदा की उस ईश्वर की जो सदा थी सदा रहेगी और जो विभिन्न नामों से , विभिन्न रूपों में अरबों खरबों वर्ष पूर्व भी , आज और अरबों वर्ष बाद आगे भी हमेशा हमेशा जाना जाता रहा है और जाना जाता रहेगा ।
और इस भूल में न रहिये कि हम ज्यादा विद्वान हैं इसलिये हम औरों के मुकाबले में उसे ज्यादा जानते हैं । उसके नूर को पशु - पक्षी तक जानते हैं । सजीव निर्जीव सभी उसे जानते हैं । जर्रे - जर्रे में वह समाया हुआ है । वह हर बात से , हर चीज से ऊपर है , चाहे वह समय अर्थात काल ही क्यों न हो ।
बाकी सब काल के गर्त में समा जाते हैं । वही और केवल वही है । सबकी हस्ती बनाने वाला वही है । काल भी उसके अधीन है । दुनिया की महान हस्तिायाँ कुछ नहीं केवल उसकी मेहरबानी हैं । किसी की भी कोई हस्ती नहीं , चाहे वह अदना हो या बड़ा । कोई कुछ है तो वह अपने बल पर नहीं बल्कि उसकी मरजी पर है ।
उसकी मरजी न हो तो सेकेण्ड भी नही लगेगा नीचे आने में । कोई चाहे कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो । बिना उसकी मरजी के कोई आपका कुछ न बिगाड़ पायेगा ।
इसलिये किसी बात की चिन्ता या किसी बात का शोक न करों , क्योंकि आप नहीं करते हैं , नही ही कोई दूसरा कुछ करता है , करने वाला तो ईश्वर है ।
सब कुछ उसी का है तथा जो कुछ करेगा वही करेगा और वह जो करेगा हमारे अच्छे के लिए ही करेगा । हो सकता है कि यह बात तुरन्त समझ में न आये लेकिन कुछ समय बीत जाने पर समझ में आ जायेगी ।
वह हमसे ज्यादा हमारा खैरख्वाह है । इस सत्य को स्मरण करते रहो ।
वास्तव में सुख - दुख में अर्थात हमेशा सुमिरन की जो बात कही गयी है , वह इसी सत्य को ही बराबर याद रखने की बात है कि सब कुछ उसी का है और सब ईश्वर ही करता है वरना हमारी या किसी की भी कोई हस्ती नहीं कि कुछ कर सके । सब उसकी मरजी है । वही और केवल वही सत्य है ।
इस सत्य को दिमाग में बिठा लो , तमाम तनावों से बच जाओगे । जिस क्षण किसी कार्य को हम , स्वयं का किया हुआ अथवा किसी दूसरे का किया हुआ मान लेते हैं , उसी क्षण हम सुख - दुःख के दायरे में आ जाते हैं । किन्तु जब ऐसी सोच मन में नहीं रहती तब हम तनाव मुक्त रहते हैं । इस प्रकार जो तीसरी बात है , वह यह कि निष्काम कर्म की सोच जो आपको सुख दुःख से परे ले जाती है और आपको तनाव से दूर रखती है ।
यदि इस प्रकार आपकी मौलिक सोच , आत्मिक सोच है और वह सुदृढ़ है तो नि : संदेह आप तनाव के शिकार नहीं हो सकते हैं । प्रस्तुत पुस्तक इसी बिन्दु पर आधारित है ।
जिस तरह हमारे शरीर के रग - रग में रक्त नलिकाओं का एक जाल बिछा हुआ है , ठीक उसी तरह स्नायुओं अर्थात दिमाग को सूचना पहँचाने वाली नलिकाओं का जाल भी महीन महीन सफेद धागों के रूप में शरीर के पोर - पोर में बिछा हुआ है । इन धागों में खून नहीं बहता है , वरन विभिन्न रूपों में सूचनायें इनसे प्रवाहित होकर मस्तिष्क में पहुँचती हैं , जैसे आँखों से दृश्य के रूप में , कानों से स्वर के रूप में , नाक से गन्ध के रूप में , त्वचा से स्पर्श के रूप में इत्यादि ।
मस्तिष्क इन्हें ग्रहण कर अपनी प्रतिक्रिया देता है जो हमें अच्छी अथवा खराब लगती है । आपने महसूस किया होगा कि कभी कभी हम किसी ध्यान में इतना अधिक तल्लीन हो जाते हैं कि हमारा ध्यान पूरी तरह दूसरी ओर होता है ।
ऐसी स्थिति में सामने वाला व्यक्ति भी सोचता है कि जनाब ने देखकर भी नमस्कार का जवाब नहीं दिया वास्तव में होता यह है कि आँखों मे तो सामने वाले की तस्वीर पड़ रही है परन्तु विचारों का केन्द्र मस्तिष्क दूसरे विचार में होने के कारण आँखो में पड़ रही उस तस्वीर अर्थात आँखों द्वारा लायी गयी सूचना के बारे में विचार नहीं कर पाता किन्तु जिस क्षण मस्तिष्क का ध्यान पहले से चल रहे विचार से हटेगा और वह सामने की तस्वीर के बारे में विचार करेगा तो तत्क्षण उसे अपनी गलती का अहसास होगा ।
इसी प्रकार आपने यह भी अनुभव किया होगा कि किसी ध्यान में होने के कारण यदि किसी चिनगारी पर हाथ पड़ जाये या वह शरीर को छू जाये अथवा उस समय जब मस्तिष्क कहीं और है तो कोई सूई हलके से चुभो दें तब यह तत्क्षण अनुभव नहीं हो पाता वरन कुछ क्षण पश्चात मालूम होता है और हम झटके से हाथ हटा लेते हैं ।
क्योंकि स्पर्शेन्द्रियों द्वारा पहुँचायी गयी सूचनाओं पर मस्तिष्क , दूसरी तरफ व्यस्त होने के कारण उसे तत्काल ग्रहण नहीं कर सका । डाक्टरों द्वारा दी जाने वाली तमाम दवाईयाँ इसी प्रकार मस्तिष्क के सम्बन्धित विचार केन्द्र को सुन्न कर व्यक्ति को तनाव - मुक्त करने का प्रयास करती हैं , जिसके गम्भीर साइड - इफेक्ट भी होते है ।
किन्तु फिर भी मनुष्य मस्तिष्क से सम्बन्धित विचार - केन्द्र के सुन्न रहने की स्थिति तक ही तनाव - मुक्त रह पाता है और बार - बार अपनायी गयी इस जबरदस्ती वाली प्रक्रिया से विक्षोभित होकर मस्तिष्क किसी नयी बीमारी को भी जन्म दे देता है । इस प्रकार डाक्टर वास्तव में फौरी इलाज तो कर सकता है परन्तु स्थायी इलाज नहीं ।
यदि तनाव हो गया है और बना हुआ है तो मस्तिष्क का ध्यान सहज एवं प्रकृतिक ढंग से दूसरी ओर ले जाने के दूसरे भी अनेक उपाय हैं जो तनाव - मुक्त होने में हमारी सहायता कर सकते हैं और इन्हें अपनी आवश्यकतानुसार हम चुन सकते हैं ।
इनके कोई साइड - इफेक्ट भी नहीं हैं । लेखक की अन्य पुस्तक जो कि “ तनाव - मुक्त जीवन की राह ” के नाम से है , इसी तथ्य पर आधारित है । इसके अतिरिक्त वह सोच जिसके कारण हम तनाव - ग्रस्त होते हैं , के स्थान पर यदि इस पुस्तक में निहित कोई सोच आपकी आवश्यकतानुसार आपके मस्तिष्क में प्रतिस्थापित हो जाती है तो वह आपके तनाव को जड़ से दूर कर सकती है ।
क्योंकि स्नायु - तन्त्र के सफेद धागों द्वारा ग्रहण कर मस्तिष्क में पहुँचायी गयी सूचनाओं को जब मस्तिष्क ग्रहण करता है तो मस्तिष्क अपने में पूर्व संचित या स्थापित मौलिक सोच के आधार पर परिणाम बनाता है और उससे ही हम तत्क्षण सन्तोष , असन्तोष , सुख - दु : ख आदि अनुभव करते हैं ।
यही नहीं , मस्तिष्क की इसी प्रतिक्रिया से प्रभावित होकर मनुष्य कर्म करता है जो तत्काल या कुछ समय पश्चात अथवा बहुत समय व्यतीत हो जाने पर फलदायी होकर मनुष्य को सन्तोष असन्तोष , सुख - दु : ख आदि देने वाला बनता है ।
अत : स्पष्ट है कि हमारी बुनियादी सोच , यदि भौतिक है और वह आत्मिक और सुदृढ़ नहीं है तो वह हमारे तनाव - ग्रस्त होने में काफी हद तक जिम्मेदार है । आत्मिक - सोच को ही इस पुस्तक में निरूपित करने का प्रयास किया गया है । ईश्वर करे कि यह पुस्तक आपको तनाव - ग्रस्त होने से बचाने में तथा तनाव - मुत्त करके , तनाव - मुक्त रखने में आपकी सहायक बने । यही इसकी सार्थकता है । -अजय वैश्य
पुस्तक का नाम/ Name of EBook: |
तनाव मुक्त जीवन के रहस्य / Secrets of a stress free life Hindi ki book free download |
पुस्तक के लेखक / Author of Book : |
अजय वेश्य / Ajay Veshy |
पुस्तक की भाषा/ Language of Book : |
हिंदी / Hindi |
पुस्तक का आकार / Size of Ebook :
|
2 MB |
पुस्तक में कुल पृष्ठ / Total Page in Ebook :
|
82 Page |
Downloding status |
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