Romeo Juliet By William Shakespeare | Hindi Book Summary | Ebookshouse.in
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पुस्तक सारांश (Book Summary)
हैलो दोस्तों आज हम Ebookshouse.in पर William Shakespeare की बुक Romeo Juliet की Hindi Book Summary पढेंगे।
भूमिका ‘ रोमियो जूलियट ' शेक्सपियर का प्रारम्भिक काल में लिखा हुआ एक दुःखान्त नाटक है । इसकी कथावस्तुभी उसके अनेक नाटकों की भाँति इटली से ली गई है , जिसमें दो पुराने इज्ज़तदार घरानों की आपसी आन की लड़ाई दिखाई गई है ।
मध्यकालीन वातावरण में ऐसे झगड़े भारत में भी ठाकुर लोगों के सम्बन्ध में मिलते हैं । शेक्सपियर ने इस नाटक में यूनानी नाटक की प्रस्तावना - शैली का सहारा लिया है , ताकि कथा की श्रृंखला को वह जोड़ सके ।
नाटक के दृष्टिकोण से इसे बहुत उच्चकोटि का नहीं माना जाता , क्योंकि दुःखान्त नाटक के पात्रों के चित्रण में उसने जो अन्तर्व्यथा और उसका अन्तर्द्वन्द्व अपने हैमलेट , मैकबेथ और सम्राट लियर नामक नाटकों में दिखाया है , वैसा वह यहाँ नहीं दिखा सका है ।
यद्यपि घरानों की लड़ाई के कवि स्वयं विरुद्ध है और स्वतन्त्र प्रेम का पक्षपाती है , किन्तु अवरोधों और घातों के विरुद्ध वह उतनी गहरी छटपटाहट पैदा नहीं कर सका है , जितनी कि इसे संसार के अतिश्रेष्ठ नाटकों में लाकर खड़ा कर देती ।
इस दृष्टि से जहाँ तक प्रेम की सम्वेदना का प्रश्न है , जो तल्लीन आत्मानुभूति और आसक्ति जैसा तुम चाहो में झंकार उठी है , उसका ‘ रोमियो जूलियट में अभाव ही मिलेगा । किन्तु फिर भी इस नाटक में एक गुण है ।
वह है इसकी माँसल ऊहा । वह जितनी मुखर यहाँ हुई है , अपनी वासना की प्रखरता , अपनी सांकेतिकता में अन्यत्र शेक्सपियर ने स्यात् ही चित्रित की हो ।
मैं इस नाटक को सफल मानता हूँ , क्योंकि शेक्सपियर ने पात्रों की जो उठान पाठक या दर्शक के सामने प्रस्तुत की है , वह उसने अन्त तक उसी रूप में निबाह दी है । संसार के विविध व्यक्तियों के चित्रण के लिए विविध प्रकारान्तरों की जो आवश्यकतापूर्ण समझ है , वह उसमें विद्यमान थी , जो नहीं होने से रचनाओं में एकरसता व्याप्त हो जाती है ।
हास्य की दृष्टि से इसमें कोई बड़ी सफलता नहीं है । परन्तु रोमियो और जूलियट दो पात्रों की दर्द - भरी कहानी स्वयं ही इतनी करुणा को जन्म देती है कि उससे प्रभाव पड़ता है ।
मैं दुःखान्त नाटक दो प्रकार के मानता हूँ - एक वह , जिसमें दुःख बाहर से भीतर जाता है ; दूसरा वह , जिसमें दुःख भीतर से बाहर आता है । पहले वर्ग में ' रोमियो जूलियट है और दूसरे में ' सम्राट लियर ।
भारतीय परम्परा में वेदना का रूप तो प्राप्त
होता है , परन्तु उसका अन्त सदैव लोक - मंगल के दृष्टिकोण से सुखमय कर दिया जाता है , जबकि यूनानी नाटक के उत्तराधिकारी यूरोपीय नाटक में दुःख का ही प्रकटीकरण किया गया है ।
कार्य का एक श्रम होता है । वह श्रम शेक्सपियर के बाह्य से अभ्यन्तर जाती क्रिया वाले नाटक में घटना पर केन्द्रित हो जाता है , जो परिणाम बनकर दिखाई देता है । किन्तु अभ्यंतर से बाह्य जाती क्रिया वाले नाटक में श्रम घटना पर केन्द्रित नहीं होता , घटना उस श्रम का परिणाम बन जाती है ।
प्रस्तुत नाटक पहले वर्ग में ही आता है । नाटक की कथा सरल है और इसमें दुरुहता नहीं है ; न कई कथाएँ एकसाथ चलकर एक दूसरे में गूंथती हैं , जो शेक्सपियर में अन्यत्र बहुधा पाया जाता है । इसके लिए जिस कोशल की आवश्यकता है , वह यहाँ नहीं दिखाई देता । चरित्र - चित्रण में रोमियो पहले एक चपल युवक है , जो बाद में दृढ़ हो जाता है ।
अवश्य ही उसकी चपलता अखर जाती है । नाटक यह स्पष्ट करता है कि प्रेम का प्रारम्भ वासना और रूप की जलन है , जो बाद में दिल में अटक जाने पर कुछ का कुछ रूप धारण कर लेता है ।
शेष चरित्रों में कोई विशेषता नहीं है , यद्यपि चित्रण प्रत्येक का अपनी जगह अनुरूप हुआ है । और भी , क्योंकि शेक्सपियर के दर्शकों में अशिक्षित वर्ग भी थे , वह पैसे की आमदनी के लिए नीचे स्तर पर भी उतरता था और वह हमें इस नाटक में भी मिलता है कि उसके द्विअर्थक शब्द केवल अधम काव्य के उदाहरण हैं जिनका अनुवाद नहीं हो सकता ।
पस्तु मूल नाटक में शेक्सपियर बुरा नहीं लगता , क्योंकि वह ऐसे पात्रों में उसको प्रस्तुत करता है कि वह पात्र - विशेष की विशेषता ही बन जाता है । इसमें उसका सांकेतिक व्यंग्य झलक आता है , जोव्यक्ति से हटकर वर्ग तक पर अपनी झाई डालता है । शेक्सपियर के नाटकों का अनुवाद अत्यन्त कठिन कार्य है ।
यदि मुझे थोड़ी भी सफलता मिलती है ( यद्यपि यह मेरा बौने का यत्न ही कहा जा सकता है ) , तो मैं अपने को कृतकृत्य समझूगा । आशा है , उपहासास्पद होने पर भी शालीनतावश विद्वज्जन मेरा साहस ही बढ़ाएँगे ।
विश्व - साहित्य के गौरव , अंग्रेज़ी भाषा के अद्वितीय नाटककार शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल , 1564 में स्ट्रेटफ़ोई - आन् - ऐवोन नामक स्थान में हुआ । उसकी बाल्यावस्था के विषय में बहुत कम ज्ञात है । उसका पिता एक किसान का पुत्र था , जिसने अपने पुत्र की शिक्षा का अच्छा प्रबन्ध भी नहीं किया ।
About William Shakespeare
1582 ई . में शेक्सपियर का विवाह अपने से आठ वर्ष बड़ी ऐनहैथवे से हुआ और सम्भवत : उसका पारिवारिक जीवन सन्तोषजनक नहीं था । महारानी एलिज़ाबेथ के शासनकाल में 1585 में शेक्सपियर लन्दन जाकर नाटक - कम्पनियों में काम करने लगा ।
हमारे जायसी , सूर और तुलसी का प्राय : समकालीन यह कवि यहीं आकर यशस्वी हुआ और उसने अनेक नाटक लिखे , जिनसे उसने धन और यश दोनों कमाए । 1612 ई . में उसने लिखना छोड़ दिया और अपने जन्मस्थान को लौट गया और शेष जीवन उसने समृद्धि तथा सम्मान से बिताया । 1616 ई . में उसका स्वर्गवास हुआ ।
इस महान नाटककार ने जीवन के इतने पहलुओं को इतनी गहराई से चित्रित किया है कि वह विश्व - साहित्य में अपना सानी सहज ही नहीं पाता । मारलो तथा बेन जानसन जैसे उसके समकालीन कवि उसका उपहास करते रहे ; किन्तु वे तो लुप्तप्राय हो गए , और यह कविकुल दिवाकर आज भी देदीप्यमान है ।
शेक्सपियर ने लगभग 36 नाटक लिखे हैं , कविताएँ अलग । उसके कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं जूलियस सीज़र , ऑथेलो , मैकबेथ , हैमलेट , सम्राट लियर , रोमियो जूलियट ( दुःखान्त ) ग्रीष्म मध्य रात्रि का स्वप्न , ( ए मिड समर नाइट्स ड्रीम ) , वेनिस का सौदागर , बारहवीं रात , तिल का ताड़ ( मच एडू अबाउट नथिंग ) , जैसा तुम चाहो ( एज़ यू लाइक इट ) , तूफ़ान ( सुखान्त ) ।
इनके अतिरिक्त ऐतिहासिक नाटक हैं तथा प्रहसन भी हैं । प्राय : उसके सभी नाटक प्रसिद्ध हैं । शेक्सपियर ने मानव - जीवन की शाश्वत भावनाओं को बड़े ही कुशल कलाकार की भाँति चित्रित किया है । उसके पात्र आज भी जीवित दिखाई देते हैं । जिस भाषा में शेक्सपियर के नाटकों का अनुवाद नहीं है , वह उन्नत भाषाओं में कभी नहीं गिनी जा सकती ।
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