लोक व्यवहार | लेखक - डेल कार्नेगी | Lok Vyavhar (Hindi) | Hindi Book Buy at Amazon

लोक व्यवहार  | लेखक - डेल कार्नेगी  | Lok Vyavhar (Hindi)  | Hindi Book Buy at Amazon 

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हैलो दोस्तों आज हम लेखक डेल कार्नेगी की Book लोक व्यवहार  | लेखक - डेल कार्नेगी  | Lok Vyavhar (Hindi) | Hindi Book Buy at Amazon के बारे में जानेंगे 

डेल कार्नेगी सिखाते हैं कि आप अपने जैसे लोगों को कैसे बना सकते हैं, लोगों को अपने सोचने के तरीके से जीत सकते हैं और लोगों को बिना अपराध या नाराजगी के बदल सकते हैं।  वह लोगों को हेरफेर किए बिना उन्हें संभालने के लिए मौलिक तकनीकों पर भी जोर देता है।  कार्नेगी ऐतिहासिक शख्सियतों, व्यापारिक दुनिया के नेताओं और रोजमर्रा के लोगों के उपाख्यानों के साथ अपनी बातों को दिखाता है।

लेखक के बारे में

डेल कार्नेगी, जिन्हें 'दोस्त बनाने की कला के कट्टर-पुजारी' के रूप में जाना जाता है, ने व्यक्तिगत व्यावसायिक कौशल, आत्मविश्वास और प्रेरक तकनीकों के विकास का बीड़ा उठाया।  उनकी किताबें - विशेष रूप से हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल - ने दुनिया भर में लाखों लोगों की बिक्री की है और आज के बदलते माहौल में भी वे हमेशा की तरह लोकप्रिय हैं।

यह पुस्तक आपके लिए आठ काम करेगी 

1. आपके दिमाग़ पर लगी ज़ंग साफ़ करेगी , नए विचार देगी , आपमें नए सपने जगाएगी और नई महत्वाकांक्षाओं की प्रेरणा देगी । 

2. आपको ऐसा तरीक़ा बताएगी जिससे आप जल्दी से और आसानी से दोस्त बना सकेंगे । 

3. आपकी लोकप्रियता बढ़ाएगी । 

4. लोगों से आपकी बात मनवाने में मदद करेगी । 

5. आपके प्रभाव , मान - सम्मान को बढ़ाएगी और काम कराने की योग्यता को बढ़ाएगी । 

6. शिकायतों से निपटने , बहस से बचने , और संबंधों को मधुर बनाने के तरीक़े सिखाएगी । 

7. एक अच्छा वक्ता और दिलचस्प बातें करने वाला बनाएगी । 

8. आपके साथियों में उत्साह भरने का तरीक़ा सिखाएगी । इस पुस्तक ने छत्तीस से भी ज्यादा भाषाओं में एक करोड़ से भी ज्यादा पाठकों के लिए यही काम किए हैं ।


यह पुस्तक कैसे और क्यों लिखी गई ? 

बीसवीं सदी के शुरुआती पैंतीस सालों में अमेरिका में दो लाख से भी अधिक किताबें छपीं । उनमें से ज़्यादातर बेजान और नीरस थीं और बिक्री के लिहाज़ से भी उनमें से कई घाटे का सौदा थीं । 

मैंने क्या कहा , ' कई ? ' एक बड़े प्रकाशन समूह के प्रेसिडेंट ने यह स्वीकार किया कि हालाँकि उनकी कंपनी को प्रकाशन का पचहत्तर वर्षों का अनुभव है , फिर भी कंपनी को आठ में से सात किताबों में घाटा उठाना पड़ता है । 

सवाल यह है कि यह जानने के बाद भी मैं यह किताब लिखने की जुर्रत क्यों कर रहा हूँ । और अगर मैं ऐसा कर रहा हूँ , तो आप इसे पढ़ने का कष्ट क्यों करें ? दोनों ही सवाल वाजिब हैं , और मैं इन दोनों का जवाब देने की कोशिश करूँगा । 1912 से मैं न्यूयॉर्क में बिज़नेस से जुड़े व्यक्तियों और प्रोफ़ेशनल लोगों के लिए अपना शैक्षणिक पाठ्यक्रम चला रहा हूँ । 

शुरुआत में तो मैं सिर्फ़ लोगों को सार्वजनिक रूप से बोलने की कला सिखाता था ऐसे कोर्स जिनका लक्ष्य था वयस्क लोगों के दिल से बोलने का डर दूर करना , उनमें इतना आत्मविश्वास पैदा करना कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर ज़्यादा स्पष्ट तरीक़े से अपने विचार व्यक्त कर सकें , चाहे वे बिज़नेस इंटरव्यू में बोल रहे हों या समूह में चर्चा कर रहे हों । 

परंतु कुछ समय बाद मुझे यह महसूस हुआ कि न सिर्फ़ प्रभावी ढंग से बोलने की कला महत्वपूर्ण है , बल्कि लोगों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे रोज़मर्रा के बिज़नेस और सामाजिक जीवन में लोगों के साथ किस तरह व्यवहार करें । मैंने यह भी महसूस किया कि मुझे भी ऐसे प्रशिक्षण की सख़्त ज़रूरत थी । 

जब मैंने पीछे मुड़कर अपने बीते हुए सालों को देखा तो मैं काँप गया कि समझदारी की कमी और इस कला के अज्ञान की वजह से मैंने जिंदगी में कितनी सारी ग़लतियाँ की थीं । 

काश किसी ने मेरे हाथों में ऐसी कोई पुस्तक बीस साल पहले रखी होती ! यह मेरे लिए कितना अनमोल तोहफ़ा होता ! अगर आप बिज़नेस में हैं , तो लोगों को प्रभावित करना शायद आपकी सबसे बड़ी चुनौती होगी । 

अगर आप गृहिणी , या वास्तुविद या इंजीनियर हैं , तो भी आप लोगों को प्रभावित करना चाहते होंगे । कुछ साल पहले कारनेगी फ़ाउंडेशन फ़ॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ टीचिंग के तत्वावधान में एक रिसर्च की गई । 

इससे एक बेहद महत्वपूर्ण तथ्य पता चला एक ऐसा तथ्य जिसे कारनेगी इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में हुए अतिरिक्त अध्ययनों ने सही ठहराया । 

इस शोध से पता चला कि किसी की आर्थिक सफलता का केवल 15 प्रतिशत ही उसके तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करता है , जबकि उसकी सफलता का 85 प्रतिशत उसके व्यवहार की कला पर निर्भर करता है , यानी उसका व्यक्तित्व और लोगों का नेतृत्व करने की उसकी कला उसे 85 प्रतिशत सफलता दिलवाती है । 

कई सालों तक मैंने फिलाडेल्फिया के इंजीनियर्स क्लब में अपने कोर्स चलाए । इसके अलावा में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स की न्यूयॉर्क शाखा के लिए भी कोर्सेज़ चला चुका हूँ । शायद डेढ़ हज़ार से भी ज्यादा इंजीनियर मेरी कक्षाओं में आ चुके हैं । 

वे मेरे पास इसलिए आए क्योंकि वर्षों के अनुभव ने उन्हें यह सिखा दिया था कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सबसे ज़्यादा तनख्वाह उन्हें नहीं मिलती जिनके पास इंजीनियरिंग का सबसे ज़्यादा ज्ञान है , बल्कि उन लोगों को मिलती है जिनमें व्यवहार की कला है । 

केवल तकनीकी ज्ञान या योग्यता के लिए आप किसी भी इंजीनियर , अकाउंटेंट , आर्किटेक्ट को नाममात्र की तनख़्वाह पर नौकरी पर रख सकते हैं । परंतु अगर किसी व्यक्ति में तकनीकी ज्ञान है , अपने विचारों को व्यक्त करने की कला है , लीडर बनने की योग्यता है और लोगों में उत्साह भरने की क्षमता है तो उसकी तनख़्वाह निश्चित रूप से अधिक होगी । 

अपने सबसे सफल दौर में जॉन डी . रॉकफ़ेलर ने कहा था , " लोगों से व्यवहार करने की कला भी उसी तरह ख़रीदी जाने वाली एक वस्तु है जैसे कि शकर या कॉफ़ी । " जॉन डी . ने यह भी कहा था , " और मैं इस कला के लिए दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा कीमत देने के लिए तैयार हूँ । 

' क्या आपको नहीं लगता कि जो कला दुनिया की किसी भी चीज़ से ज्यादा कीमती है , उसे सिखाने के लिए दुनिया के हर कॉलेज में कोर्स चलने चाहिए ? परंतु मैंने तो आज तक ऐसे किसी कोर्स या कॉलेज का नाम नहीं सुना । 

युनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो और युनाइटेड वाय . एम . सी . ए . स्कूल्स ने एक सर्वे कराया जिसमें लोगों से यह पूछा गया था कि वे क्या सीखना चाहते हैं । इस सर्वे पर 25,000 डॉलर खर्च हुए और इसमें दो साल का समय लगा । सर्वे का अंतिम हिस्सा मेरिडन , कनेक्टिकट में किया गया । मेरिडन को एक औसत अमेरिकी क़स्बे के रूप में चुना गया था । 

मेरिडन के हर वयस्क के विचार जाने गए और उनसे 156 सवालों के जवाब पूछे गए इस तरह के सवाल जैसे , " आपका व्यवसाय या प्रोफ़ेशन क्या है ? आपकी शिक्षा ? आप अपना ख़ाली समय किस तरह बिताते हैं ? आपकी हॉबी क्या है ? आपकी महत्वाकांक्षाएँ ? आपकी समस्याएँ ? 

आप किन विषयों के अध्ययन में सबसे अधिक रुचि रखते हैं ? " इत्यादि । इस सर्वे का निष्कर्ष यह था कि वयस्कों की सर्वाधिक रुचि का विषय स्वास्थ्य है । 

इसके बाद सर्वाधिक रुचि का दूसरे नंबर का विषय था लोगों को समझना और लोगों से मेलजोल बढ़ाने के तरीके सीखना , यह जानना कि लोगों का दिल किस तरह जीता जाए और उन्हें प्रभावित कैसे किया जाए । तो सर्वे कराने वाली कमेटी ने यह निर्णय लिया कि मेरिडन के वयस्कों के लिए ऐसा कोर्स आयोजित कराना चाहिए । 

उन्होंने इस विषय पर व्यावहारिक पाठ्यपुस्तक की खोज की , परंतु बड़ी मेहनत और खोजबीन के बाद भी उन्हें इस विषय पर काम की एक भी किताब नहीं मिली । Continues Reading 

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