हैलो दोस्तों आज हम लेखक Swett Marden की Book "Aap Kya Nahin Kar Sakte - (आप क्या नहीं कर सकते)" के बारे में जानेंगे।
किसी भी मनुष्य के चरित्र का गठन का व्यक्तित्व का निर्माण उसके सुन्दर वस्त्रों तथा उसकी ऊंची बातों मात्र से नहीं हो जाता बल्कि मनुष्य के अपने विचारों के द्वारा गई चारित्रिक गठन गैर उसका व्यक्तित्व है । मनुष्य के हृदय में बड़ी - बड़ी आकांक्षाएं व्यर्थ नहीं पैदा होतीं । भावनाएं बेकार ही मन में उत्पन्न नहीं हुआ करतीं ।
ये भावनाएं और महत्त्वाकांक्षाएं ही मनुष्य को काम करने की प्रेरणा देती हैं । इन्हीं के विचारों से मनुष्य काम करने की शक्ति ग्रहण करता है । जब आप अपने हृदय की गहराइयों से किसी एक चीज की इच्छा करते हैं तब वह आपको अवश्य मिल जाती है । मन , वचन और कर्म से किया हुआ प्रयास निष्फल नहीं जाता है , उसका सुफल अवश्य सामने आता है ।
आप जब किसी चीज की हृदय से इच्छा करते हैं तो उस चीज से आपका सम्बन्ध जुड़ जाता है । जितनी भी आप मन से उनकी इच्छा करेंगे , आपका मन उसका विचार करेगा , आप मन , वचन और कर्म से उसे पाने का उद्योग करेंगे , वह सम्बन्ध मज़बूत होता चला जाएगा और एक दिन आप उस वस्तु को अवश्य पा लेंगे ।
आप जो कुछ करना चाहते हैं या बनना चाहते हैं अथवा किसी क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने उद्देश्य पर अटल रहते हुए तन - मन से उसके लिए कोशिश करनी चाहिए । आपके इरादे मज़बूत होने चाहिए , आपकी जीत होगी । आपकी आकांक्षाएं आश्चर्यजनक रूप से पूर्ण होंगी ।
आप जीवनपर्यन्त स्वस्थ और जवान बने रहना चाहें तो ऐसा भी हो सकता है बशर्ते कि आप अपने मन में इसके लिए ऐसे विचार स्थिर किये रहें । मन में और आत्मा में आप सदा यदि पवित्रता , सुन्दरता रखेंगे तो आपका मन और आत्मा सदा सुंदर रहेंगे । बुढ़ापा नहीं आ सकता ।
आपकी नैतिक शक्ति बढ़ जाएगी । शारीरिक और मानसिक शक्तियों में भी दृष्टि होगी । आदर्श : आपके कुछ आदर्श होने चाहिए । आदर्श उत्तम हों । बिना आदर्श के मनुष्य कुछ नहीं है । आदर्श उत्तम हों तो हर वस्तु नवीन और सुन्दर है । वहां कुछ भी पुरातन और कुरूप नहीं होता ।
यदि आप आदर्श पर स्थिर रहें तो आपको हर समय पूर्णता ही प्राप्ति होगी । आप अपने को कभी अपूर्ण नहीं पाएंगे । आपको अपनी इच्छाएं पूर्ण होने की दृढ़ आशा रहेगी जिससे आप श्रद्धा , प्रेम और परिश्रम से कार्य करते रहेंगे ।
दृढ़पूर्वक आदर्श को बनाये रखने से मनोबल बढ़ा रहता है और वह मनोबल आपको अपने अभीष्ट की सिद्धि में अर्थात् जो आप करना चा हते हैं , उसमें सहायक होगा ।
विषय वस्तु -
1. आपके विचार 2. सफलता का राज क्या है ? 3. आशावाद 4. साहसी बनिए 5. आत्म - विश्वास दृढ हो 6. लक्ष्य में निष्ठा हो 7. दुविधा को त्याग दीजिए 8. भय के भूत को भगाइए 9. आत्मा की आवाज सुनिए 10. उदासीन मत रहिए 11. अहंकार को भी मारिए 12. वाणी की मधुरता 13. ईश्वर से संबंध अनुक्रम 14. मन की मजबूती 15. संकल्प और प्रतिज्ञा 16. क्रोध को जीतिए 17. जो भी काम करें प्रसन्नता से करें 18. अब आप क्या नहीं कर सकते !
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