Steve Jobs Jaisa Koi Nahi | Author - Jeffrey S. Young and William L. Simon | Hindi Book Summary | स्टीव जॉब्स जैसा कोई नहीं | लेखक - जेफरी एस. यंग और विलियम एल. साइमन | हिंदी पुस्तक सारांश

Steve Jobs Jaisa Koi Nahi

Steve Jobs Jaisa Koi Nahi | Author  - Jeffrey S. Young and William L. Simon | Hindi Book Summary | स्टीव जॉब्स जैसा कोई नहीं | लेखक - जेफरी एस. यंग और विलियम एल. साइमन | हिंदी पुस्तक सारांश

अद्वितीय प्रतिभा , जो विरलों को ही उपहार में मिलती है , रंग - बिरंगे धागों से बुनी गई एक डोरी है । प्रकृति ने वह उपहार स्टीव जॉब्स को दिया , साथ ही दी एक जननायक या प्रचारक की सी भीड़ को बांधे रखने की अद्भुत क्षमता । उसके घंटों लम्बे प्रदर्शन देखना किसी कलाकार के अलिखित , स्वच्छंद एकाकी रूपक जैसा है , जो और कुछ नहीं , सिर्फ तकनीक के बारे में होता है जो स्टीव जॉब्स की दुनिया है । 

जब स्टीव नवयुवक था तो , एक बार आलोचकों ने कहा था कि इस प्रदर्शन कला के अलावा उसमें और कुछ नहीं है । जब उसने पहली बार ऐपल पर अधिकार किया था तो , तकनीक के इस राजकुमार में एक उद्दण्डता थी , जो उसे शुष्क व रिक्त बना देती थी । उसने पर्सनल कम्प्यूटर को बढ़ावा देने की कोशिश की , और अनुयायी भी आकर्षित हुए , लेकिन वह एक अलग सम्प्रदाय था । 

अपनी ही कम्पनी से तिरस्कृत होने के बाद , पंद्रह वर्ष की जद्दोजहद ने सब कुछ बदल दिया : उसे इंसान बना दिया । सैन फ्रांसिस्को के मॉस्कोन कंवेंशन सेंटर ( Moscone Convention Center ) में , जनवरी 2000 के मैकवर्ल्ड एक्स्पो में यह स्पष्ट रूप से नज़र आया । उस समारोह में , स्टीव जॉब्स इतना भावुक हो गया था , जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी । और जैसे उसका पूरा जीवन दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहा है , यह भी उसने हज़ारों दर्शकों के सामने किया । 

जिन लोगों ने उसकी बात पर ध्यान दिया होगा , वे समझ गये होंगे कि स्टीव जॉब्स कितना बदल चुका था । तालियों की गड़गड़ाहट और शोर - गुल के बीच , प्रदर्शन के अंत में , एक आडम्बर रहित पल में उसने अत्यंत सरलता से यह स्वीकार किया । मैकिंतोश के वार्षिक ट्रेड - शो ( Trade Show ) और " लव इन ” ( love - in ) में प्रदर्शन करना , ऐपल के मुख्य अधिकारी के जीवन का एक अभिन्न अंग है । 

स्टीव ने सालों पहले यह शुरू किया था ; जब उसे कम्पनी से निकाल दिया गया तो उसके उत्तराधिकारियों ने यह परम्परा ज़ारी रखी । लेकिन , कोई भी स्टीव की तरह नहीं कर पाया , और जब वह वापिस ऐपल में आया , तो प्रदर्शन की कला में और भी माहिर हो चुका था । "

अब बाल कम हो गये हैं , चश्मा लग गया है , लेकिन आकर्षण बरकरार है । काली टर्टल - नेक ( turtle neck ) शर्ट और पुरानी जींस यह दिखाते थे कि उसे कॉर्पोरेट जगत की वर्दी से सख्त नफरत है । संकोची और विनम्र मुस्कुराहट के साथ , बिग - बॉस वाले पचास फीट बड़े स्क्रीन पर , स्टीव ने आखिरी स्लाइड चलाई । उस पर , उसका पद था , अंतरिम सीईओ ( Interim CEO ) | 

सबके ध्यान का केंद्र बने , मंच पर चहल कदमी करते हुए , उसने कहा कि जब से वह लौटा है , ऐपल में सब बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं । इस बात की चर्चा भी की कि व ऐपल और पिक्सर , दोनों को सम्भाल रहा है । 

उसने कहा , “ ढ़ाई साल बाद , मुझे उम्मीद है कि हम अपने पिक्सर और ऐपल के शेयर होल्डरों को यकीन दिला पाये हैं कि सीईओ की यह दोहरी भूमिका निभाना सम्भव है । इसलिये , मैं पिक्सर या ऐपल में अपने काम में कोई बदलाव नहीं करूंगा । “ लेकिन , मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आज मैं अपने पद से अंतरिम ' हटा रहा हूँ । " भीड़ ने “ स्टीव ! स्टीव ! स्टीव ! ” चिल्लाना शुरू कर दिया । 

पहले , कुछ ऐपल - प्रेमियों शुरू किया । फिर यह स्वर बढ़ता ही चला गया । तालियों की गति तेज़ हुई , फिर कदमों की ठक - ठक , और , अंत में , भीड़ ने खड़े हो कर उसका सम्मान किया । ने “ स्टीव ! स्टीव ! स्टीव ! ” का शोर गूंजने लगा और सब कुछ उसमें डूब गया । मंच पर खड़े बादशाह को पहले तो समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है । फिर , कान पर हाथ रख कर , ध्यान लगा कर सुना तो , अचानक समझ आया : ऐपल के हज़ारों दीवाने , उपभोक्ता , विकास - कर्ता , और निष्ठावान वो कह रहे थे जो वह सुनना चाहता था । 

सभी दर्शक अपना प्यार उड़ेल रहे थे । अपने सार्वजनिक जीवन में पहली बार , वहाँ , मंच पर , ढ़ाई घंटे के इतने शानदार प्रदर्शन के अंत में , स्टीव वाकई भावुक हो गया था । झेंपती हुई सी मुस्कान लिये , वह उस प्यार की बारिश में नहा रहा था । शायद अब वह ढीठ और अहंकारी नहीं रह गया था । शायद चार बच्चों , एक कम्पनी की असफलता , और एक के असफलता के कगार पर होने ने , उसे कुछ सिखा दिया था । 

मॉस्कोन सेंटर में , उस मंच पर , स्टीव का दिल भर आया था । भर्राये गले से , आंसुओं को थामे , उसने कुछ बुदबुदाया , कि हाँ , हम सब बदल सकते हैं । हाँ , स्टीव जॉब्स भी उस दुनिया आ गया था जहाँ भावनाएं और प्रेम व्यवसाय और तकनीक के साथी हो सकते हैं । 

उसने कहना शुरू किया , “ अब आप लोग मुझे अजीब सा अहसास करा रहे हैं । मैं रोज़ काम पर आता हूँ और , ऐपल और पिक्सर में , दुनिया के सबसे कुशल और योग्य लोगों के साथ काम करता हूँ । दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नौकरी । लेकिन यह एक टीम का खेल है । ”

Download Kindle_edition 

उसकी आंखें भर आई । टीम का खेल । पंद्रह साल पहले , यह झठ होता , पर अब सब कुछ बदल चुका था । समय ने उसकी हठधर्मिता और अहंकार को नष्ट कर दिया था , और यह अहसास कराया था कि वह भी इंसान है , और कितना भाग्यशाली है । और अब वह हज़ारों लोगों के सामने खड़ा हो कर , सच्चे दिल से उन सबका आभार प्रकट कर सकता है , जिनकी मेहनत और लगन ने उसे इस शिखर पर पहुंचाया । 

विनम्रता से , उसने धीरे से दर्शकों से एक आखिरी बात कही : “ ऐपल के सब लोगों की ओर से मैं आपका शुक्रिया कुबूल करता हूँ । ” यही वह बात थी । यह एक नया स्टीव जॉब्स था । असफलता से विनम्र हुआ , अपने बच्चों के जन्म से ऊंचा उठा , उम्र के साथ परिपक्व हुआ , फिर भी उतना ही ज़िद्दी , और शायद अपने निर्णयों के प्रति पहले से भी अधिक आश्वस्त , अब वह समझ चुका था कि असल में काम करने वाले बहुत से और लोग थे : “ ऐपल एक टीम का खेल है । ” स्टीव ही वह व्यक्ति था , जिसने किसी भी और के मुकाबले , तकनीक में हर किसी के लिये सम्भावनाएं देखी थीं । 

उसने विशिष्ट और विकासशील तकनीक के क्षेत्र में कुशलता से विचरते हुए , अपने उत्साहपूर्ण व्यक्तित्व से , हर चीज़ को नई , चमकदार और खास बना दिया था । मैकिंतोश के प्रति उसका जुनून , और बदलाव की यह यात्रा उसके लिये , ऐपल के लिये और पर्सनल कम्प्यूटर के उद्योग के लिये कुछ खास थी । 

उसका आकर्षण , जीत के पल की वह खुशी , और वह सहजता जो उसके शक्तिशाली नारों की याद दिलाती थी— “ बेहद शानदार ! ” “ ब्रह्माण्ड पर अपनी छाप छोड़नी है ! ” “ यात्रा ही पुरस्कार है ! ” “ चलो , लुटेरे बनें ! ” — जिनकी जगह अब नए नारों ने ले ली थी : “ यह बहुत ही भयंकर होगा ! ” “ कुछ हट के ” , और अंत में , “ ऐपल का पुनर्निर्माण , ” “ अलग सोचो , ” और बज़ लाइटईयर से क्लाउनफिश नीमो और इनक्रेडिबल्स के परिवार तक , विभिन्न किरदारों की हलचल मचाती सेना । 

स्टीव अकेला ही नहीं था जो उस दिन भावुक हो गया था । ऑडिटोरियम में एक ओर अकेला बैठा , जिसे शायद ही किसी ने पहचाना हो , दूसरा स्टीव था , स्टीव वोज्नियैक , जिसे वॉज़ के नाम से जाना जाता था । पहले कभी ऐपल का सह - संस्थापक रह चुका , और ऐपल II का कुशाग्र निर्माता , जिसने इंजीनियरिंग के विचित्र कारनामों से ऐपल समुदाय की रचना की । था , वॉज़ अपने पुराने पार्टनर को विनम्रता , और सहजता से तारीफ कुबूल करते देख रहा , और उसके गाल आंसुओं से भीग रहे थे । हॉल से बाहर जाते वक़्त , उसने एक रिपोर्टर से कहा , “ बिल्कुल पुराने दिनों जैसा अहसास था , स्टीव की घोषणा ने मेरी दुनिया हिला दी । ” अगर वॉज़ स्टीव को माफ कर सकता था , तो कोई भी कर सकता था । बहुत लम्बे समय बाद , स्टीव ने उसे फिर से रुलाया था ।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ