आपको अपने जीवन में क्या करना है (Aapko Apne Jeevan Mein Kya Karna Hai) | लेखक - जे . कृष्णमूर्ति | हिन्दी पीडीएफ डाउनलोड 

आपको अपने जीवन में क्या करना है

आपको अपने जीवन में क्या करना है

हैलो दोस्तों आज हम आपके लिए जे . कृष्णमूर्ति की पुस्तक 'आपको अपने जीवन में क्या करना है' की हिन्दी पीडीएफ लेकर आए हैं । इस हिन्दी पीडीएफ को आप डाउनलोड भी कर सकते है 

आपको अपने जीवन में क्या करना है ? | लेखक - जे . कृष्णमूर्ति | हिन्दी पीडीएफ डाउनलोड 

पुस्तक के बारे में/About Book - आपको अपने जीवन में क्या करना है ?

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पुस्तक का नाम / Name of EBook :- आपको अपने जीवन में क्या करना है ?

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पुस्तक के लेखक / Author of Book :- जे . कृष्णमूर्ति

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पेजों की संख्या :- 188 पेज 

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पुस्तक की भाषा / Language of Book :- हिन्दी 

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पुस्तक के प्रकार / Types of Book :- PDF | HARD COVER

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लेखक के बारे में 

जिड्डू कृष्णमूर्ति ( 1895-1986 ) का जन्म भारत में हुआ और उनकी शिक्षा इंग्लैंड में हुई । उन्होंने लगभग पूरे विश्व में वार्ताएं दीं । 

किसी जाति , राष्ट्रीयता अथवा धर्म में उन्होंने अपनी निष्ठा घोषित नहीं की । वह किसी भी परंपरा से आबद्ध नहीं रहे ।

20,00,000 शब्दों से अधिक का उनका शिक्षण 75 से अधिक पुस्तकों , 700 से अधिक ऑडियो कैसटों व 1200 से अधिक वीडियो कैसटों में प्रकाशित हो चुका है । 

अब तक बाईस भाषाओं में उनकी पुस्तकों की 4,000,000 से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं । 

दलाई लामा व मदर टेरेसा के साथ - साथ कृष्णमूर्ति को ' टाइम ' पत्रिका द्वारा बीसवीं शताब्दी के पांच संतों में एक घोषित किया गया था । 

अपने नब्बे वर्ष के जीवन में बाद के पैंसठ वर्षों में कृष्णमूर्ति विश्व यात्रा करते हुए विपुल श्रोता समूहों के समक्ष बिना किसी पूर्वनिर्धारित विषय या तैयारी के सहज - स्वाभाविक रूप से वार्ताएं देते रहे । 

हर तरह की आध्यात्मिक तथा मनोवैज्ञानिक दावेदारी को खारिज कर देना और साथ ही उन्हें भी कोई ऑथोरिटी न बना डाले , इससे आगाह करना उनका आधारभूत विषय रहा । 

उन्होंने कहा कि मनुष्य को स्वबोध के ज़रिये , अपने - आपसे परिचय करते हुए स्वयं को भय , पूर्व - संस्कारों , सत्ता प्रामाण्य और रुढ़िवादिता से मुक्त कर लेना होगा । 

उनके अनुसार इससे व्यक्ति में व्यवस्था और वास्तविक मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आएंगे । 

संघर्ष आरूढ इस हिंसक संसार को किसी भी राजनीतिक , सामाजिक या आर्थिक रणनीति द्वारा भलाई , प्रेम और करुणा संपन्न जीवन प्रदान नहीं किया जा सकता । 

किसी भी गुरु अथवा संगठित धर्म के बिना ही व्यक्ति द्वारा स्वयं को अवलोकन किये जाने से उसमें यह आमूल परिवर्तन आ सकेगा । 

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